आठवीं पास करने के बाद ही उसे छोटे-मोटे तकनीकी स्कूल में डाल दिया गया।
उसकी पढ़ाई वस्तुत: दिखावटी थी।
न तो उसे पढ़ने के लिए समय दिया गया और न उस पर धन और ध्यान लगाया गया।
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