ये महाकवि तुलसीदास (1532-1623 ईं), गुरुनानक (1469-1539 ई.) एवं चैतन्य (1486-1534 ई.) के समकालीन थीं।
मीराबाई मेड़ता के रतन सिंह राठौर की इकलौती पुत्री थीं।
इनका जन्म 1498 ई. में मेड़ता के कुदकी नामक ग्राम में हुआ था।
इनका विवाह उदयपुर के प्रसिद्ध शासक राणा सांगा के ज्येष्ठ पुत्र युवराज भोजराज से हुआ था।
किंतु विवाह के कुछ ही वर्षों पश्चात राजकुमार भोजराज का परलोकवास हो गया।
पति की मृत्यु के बाद उन्होंने अपना समूचा जीवन कष्ण की भक्ति में अर्पित कर दिया। ये महाकवि तुलसीदास (1532-1623 ईं), गुरुनानक (1469-1539 ई.) एवं चैतन्य (1486-1534 ई.) के समकालीन थीं।
मीराबाई हिंदू आध्यात्मिक कवयित्री थीं, जिनके भगवान श्रीकृष्ण के प्रति समर्पित भजन उत्तर भारत में लोकप्रिय हैं।
इन्होंने चार ग्रंथों की रचना की थी।
ये ग्रंथ हैं-नरसी का मायरा, गीत गोविंद टीका, राग-गोविंद और राग सोरठ।
इसके अतिरिक्त उनके गीतों का संकलन ‘मीराबाई की पदावली’ नामक ग्रंथ में किया गया है।