भारत में जनहित याचिका का जनक किसे कहा जाता है

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      golu
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        भारत में जनहित याचिका का जनक पी.एन. भगवती को कहा जाता है |

        जनहित का अर्थ होता है ‘जनता का हित’।

        जनहित याचिका तभी होता है जब उस मामले में जनता का हित हो नहीं तो वह जनहित याचिका नहीं कहलाती।

        जनहित याचिका (पी.आई.एल) एक व्यक्ति के हित के लिए दायर नहीं की जा सकती है, जनहित याचिका सरकार या राज्य के खिलाफ भी दायर की जाती है, निजी पक्ष को प्रतिवादी तभी बनाया जाता है जब सरकार को भी पक्षकार बनाया जाये। अतः जनहित याचिका केवल निजी व्यक्ति या कंपनी के खिलाफ नहीं दायर की जा सकती है।

        जनहित याचिका की शुरूआत सबसे पहले अमेरिका में हुई।

        भारत में जनहित याचिका पी.एन. भगवती व वी.आर. कृष्णा अय्यर द्वारा लोकप्रिय व सशक्त की गयी।

        एक जनहित याचिका की सुनवाई के परिणामस्वरूप, अदालत ने घोषित किया कि हथकड़ी लगाना और रस्सियों से बाँधना अमानवीय है और मानव अधिकारों का पूर्ण उल्लंघन है।

        जनहित याचिका के परिणामस्वरूप अदालत ने फैसला सुनाया कि किसी भी मामले में (असाधारण मामलों को छोड़कर) एक बच्चे को जेल नहीं भेजा जा सकता है।

        मौलिक अधिकारों के अन्तर्गत अनुच्छेद 22 गिरफ्तारी से संरक्षण का प्रावधान करता है।

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