फ्रांसिस बुकानन एक चिकित्सक था जो भारत आया और उसने बंगाल चिकित्सा सेवा में कार्य किया। कुछ वर्षों तक वह भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड वेलेजली का शल्य चिकित्सक रहा। अपने प्रवास के दौरान उसने कलकत्ता में एक चिड़ियाघर की स्थापना की, जो कलकत्ता अलीपुर चिड़ियाघर कहलाया । बंगाल सरकार के अनुरोध पर उन्होंने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकार क्षेत्र में आने वाली भूमि का सर्वेक्षण किया। वह असाधारण प्रेक्षण शक्ति का धनी था। उसकी दृष्टि सूक्ष्म थी, किन्तु उसका आंकलन कंपनी के वाणिज्यिक सरोकारों से प्रभावित था। वह वनवासियों की जीवन शैली का आलोचक था और वनों को कृषि भूमि में बदलने का हिमायती भी । 1815 में यह बीमार हो गया और वापस इंग्लैंड चला गया। उन्नीसवीं शताब्दी के प्रारम्भिक वर्षों में उसने ‘राज महल’ की पहाड़ियों का दौरा किया जो उसे अभेद्य लगती थीं।