बीमा में जितना भी नियम लागू किया जाय उसका आधार यह है कि बीमादार जिस जोखिम के लिए बीमा पालिसी लेता है यदि उस जोखिम की वजह से नुकसान होता है तब उसे पूर्ण क्षतिपूर्ति पाने का अधिकार है।
लेकिन वह किसी भी हालत में पूर्ण क्षतिपूर्ति से ज्यादा नहीं पा सकता है । यह बीमा का आधारभूत सिद्धान्त है ।
इस सिद्धान्त के अनुसार
(क) बीमादार को यह साबित करना पड़ता है कि बीमा की विषय-सामग्री की क्षति होने से उसे वास्तविक आर्थिक क्षति कितनी हुई।
(ख) बीमादार को सिर्फ वास्तविक क्षति ही मिल सकता है, लेकिन बीमा की रकम से ज्यादा किसी भी हालत में नहीं प्राप्त हो सकता है।
(ग) अगर एक ही वस्तु का एक से ज्यादा बीमादाताओं से दुहरा-बीमा कराया गया है तब सभी बीमादाता वास्तविक क्षति के अनुपात में क्षति की पूर्ति करेंगे।
(घ) आंशिक क्षति होने पर क्षति-निर्धारण का आधार बाजार-मूल्य के आधार पर किया जाता है।