बाबर के आक्रमण के समय भारत की सामाजिक स्थिति क्या थी?

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    chetan
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        kanha01
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          बाबर के हिन्दुस्तान आक्रमण के समय भारत अनेक छोटे-छोटे राज्यों में बँटा हुआ था और यहाँ पर केन्द्रीय सत्ता का अभाव था| यहाँ की सामाजिक स्थिति का वर्णन बाबर ने अपनी पुस्तक तुजुक-ए-बाबरी में किया है जो उसने अपनी मातृभाषा तुर्की में लिखी थी|

          सामाजिक स्थिति- बाबर के आक्रमण के समय भारतीय समाज दो भागों में विभाजित था-हिन्दू और मुसलमान हिन्दू सत्ता खो चुके थे और उनमें जाति विभेद, सती प्रथा, बाल विवाह, पर्दा प्रथा, अंधविश्वास जैसी बुराइयाँ थीं|

          इसी प्रकार मुसलमानों में भी अनेक बुराइयाँ-जुआ खेलना, शराब पीना, स्त्रियों की संगत करना आदि थीं|

          ये दो वर्ग आपस में झगड़ते रहते थे| सौभाग्य से उसी समय भक्ति आन्दोलन और सूफी आन्दोलन भारत में चल रहे थे| जिससे हिन्दू और मुसलमानों के बीच सौहार्दपूर्ण वातावरण तैयार करने का प्रयास किया गया| इसके अतिरिक्त बाबर ने भारत की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक स्थिति के सम्बन्ध में लिखा है कि भारत में कोई विशेष आकर्षण नहीं है| यहाँ के लोग सुन्दर नहीं है और न ही एक-दूसरे से व्यवहार रखते हैं, योग्यता और बुद्धि का अभाव है|

          हस्त शिल्प उच्च श्रेणी की नहीं है उसमें किसी प्रकार की समानता नहीं है, घोड़े अच्छी किस्म के नहीं हैं, फल भी प्रथम श्रेणी के नहीं हैं, बाजार में अच्छी चपाती और पका हुआ भोजन उपलब्ध नहीं है, मोमबत्तियों का यहाँ अभाव है| यहाँ मोमबत्ती (मशाल) के स्थान पर दिवाती प्रयोग में लाई जाती है जिसका प्रयोग असुविधाजनक है|

          नदियों और इसकी छोटी शाखाओं के अतिरिक्त यहाँ बहता हुआ पानी नहीं था|बगीचों और इमारती तलघरों में बहते पानी का अभाव था| घर हवादार नहीं थे और न ही उनमें कोई समरूपता थी|

          किसान और निम्न तबके के लोग लगभग नंगे रहते थे| पुरुष लंगोट बांधते थे और कंधे पर कपड़ा रखते थे| इसके अतिरिक्त एक कपड़ा जाँघों के ऊपर भी रखते थे| स्त्रियाँ धोती पहनती थीं और उसे सिर पर ढकती थीं|
          भारत की विशेषता यह है कि यह बहुत बड़ा देश है और यहाँ सोना-चाँदी का अपार भण्डार है| बरसात में यहाँ का मौसम बड़ा सुहावना है| बरसात में नदियाँ भर जाती हैं और उन स्थानों पर पानी हो जाता है जहाँ पानी नहीं था| इसी प्रकार ठण्ड भी यहाँ अच्छी पड़ती है| लेकिन गर्मी काफी कष्टदायी है|

          भारत में एक विशेषता यह भी है कि यहाँ हर प्रकार के मजदूर बड़ी संख्या में मिलते हैं| यहाँ प्रत्येक कार्य के लिए एक निश्चित जाति है|
          बाबर का उपर्युक्त विवरण कुछ तो सत्य है और कुछ बिन्दुओं पर गलत| बाबर ने अपने ये सभी निर्णय बड़ी जल्दबाजी में लिए और लिख डाला| उसका यह कथन गलत है कि भारतीय असामाजिक और अव्यवहार कुशल थे, उसका यह कथन भी गलत है कि भारतीय बदसूरत थे हाँ ऐसा हो सकता है कि वे तुर्की लोगों की तुलना में कम आकर्षक रहे हों, उसका यह विचार भी ठीक नहीं जान पड़ता कि भारतीयों में बुद्धि और कुशलता का अभाव था जबकि भारतीयों की योग्यता विश्वविख्यात थी|

          इस प्रकार यह निष्कर्ष निकलता है कि भारत के विषय में बाबर ने जो विवरण दिया है वह पूर्णतः सत्य नहीं है| बाबर ने केवल एक विजेता की दृष्टि से विवरण दिया है न कि एक स्वतन्त्र लेखक की दृष्टि से |

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