लार्ड कर्जन द्वारा 1905 में बंगाल विभाजन की घोषणा की गयी। कर्जन ने बंगाल का विभाजन प्रशासनिक सुविधा से कम बल्कि राजनीतिक कारणों से अधिक किया था।
16 अक्टूबर, 1905 को बंगाल का विभाजन कर दिया गया। इसी दिन बंगाल में शोक दिवस मनाया गया।
समूचे बंगाल में हड़ताल की गयी। जुलूस निकाले गये तथा लोगों ने एकता प्रदर्शित करने के लिए एक-दूसरे के हाथों में राखियां बांधी।
कलकत्ता में सुरेन्द्रनाथ बनर्जी तथा आनंद मोहन बोस ने 75 हजार लोगों की सभा को संबोधित किया।
स्वदेशी आंदोलन शीघ्र ही समूचे देश में फैल गया। महाराष्ट्र में बाल गंगाधर तिलक, पंजाब में लाला लाजपत राय तथा अजीत सिंह तथा दिल्ली में सैयद हैदर रजा ने आंदोलन का नेतृत्व किया।
1905 ई. के बनारस कांग्रेस अधिवेशन मे स्वदेशी आंदोलन का समर्थन किया गया, जो बंगाल विभाजन के विरोध में चला था।