फ्रैंकफर्ट की संधि पर टिप्पणी लिखिए

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    chetan
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        Quizzer Jivtara
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          (TREATY OF FRANKFURT) शान्ति सन्धि के आरम्भिक प्रावधानों पर 28 जनवरी, 1871 को हस्ताक्षार हुए और दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने 10 मई को फ्रेन्कफर्ट सन्धि के रूप में हस्ताक्षर किये। इस सन्धि के प्रावधानों के अनुसार मट्स तथा स्ट्रासबर्ग के साथ लोहे और कोयले से सम्पन्न अलजेक तथा लारेन (Alsace and Lorraine) के क्षेत्र भी जर्मनी को मिले। युद्ध की क्षतिपूर्ति के रूप में 20 करोड़ पौण्ड फ्रांस ने जर्मनी को देने का वचन दिया। जर्मनी की सेना को क्षतिपूर्ति की अवधि तक फ्रांस में रहने की भी व्यवस्था थी।

          इस युद्ध का सर्वाधिक महत्वपूर्ण परिणाम जर्मनी का पूर्ण एकीकरण तथा शक्तिशाली जर्मनी साम्राज्य का उद्भव था। जर्मनी, इस युद्ध के उपरान्त यूरोप महाद्वीप का सर्वाधिक शक्तिशाली तथा राजनीतिक शक्ति बन गया। इटली का भी इस युद्ध के परिणामस्वरूप पूर्ण एकीकरण हो गया। रोम में फ्रांस की सेना पोप की रक्षा कर रही थी परन्तु फ्रांस को इस युद्ध ने अपनी सेना रोम से हटाने के लिए विवश किया और रोम पर पीडामेण्ट के राजा विक्टर एमान्युअल ने सरलता से आधिपत्य स्थापित कर लिया। पोप की प्रशासनिक सत्ता का अन्त हो गया और रोम एकीकृत इटली की राजधानी बन गया।
          फ्रांस में इस युद्ध के परिणामस्वरूप गणतन्त्र का अभ्युदय हुआ। फ्रांस में फ्रैन्कफर्ट की सन्धि के उपरान्त कुछ माह तक भीषण संकट की स्थिति रही। पेरिस में साम्यवादी दल तथा कुछ अराजक तत्वों ने, कम्यून के नाम से प्रसिद्ध अपनी सरकार बनाने का प्रयास किया। उन्होंने पेरिस पर आधिपत्य स्थापित कर लिया और फ्रांस को दो माह तक अत्यधिक क्षति पहुंचाई। उसके बाद उनका दमन कर दिया गया। तदुपरान्त अपराधियों को दण्ड देने के युग का सूत्रपात हुआ। फ्रांस में उसके बाद स्थायी शान्ति हुई। तृतीय गणतन्य फ्रांस में सफल हुआ और स्थायी सरकार गठित हुई।
          इस युद्ध का लाभ लेते हए पेरिस सन्धि के उन प्रावधानों का रूस ने अतिक्रमण करना आरम्भ कर दिया, जिसके अन्तर्गत काले सागर को तटस्थ क्षेत्र घोषित कर दिया गया था। सेबेस्टोपोल में सुदृढ़ दुर्ग बनाना आरम्भ कर दिया। यूरोपीय शक्तियों का लन्दन में सम्मेलन हुआ, जिसमें रूस की इस कार्यवाही को सन्धि के प्रावधानों का उल्लंघन कहा गया।

          भावी घटनाओं ने स्पष्ट किया कि फ्रांस से अलजेक और लारेन लेकर बिस्मार्क ने अपेक्षाकृत अधिक काम किया था। यथार्थ में प्रथम विश्व युद्ध का बीजारोपण फ़ैन्कफर्ट सन्धि के प्रावधानों से हुआ था। बिस्मार्क ने ये दोनों क्षेत्र देशभक्ति की उदात्त भावना तथा सैनिक कारणों से लिये थे। उसके सैनिक परामर्शदाताओं ने संकेत दिया कि जर्मनी की सुरक्षा के लिए भविष्य में फ्रांस के साथ युद्ध के समय राइन नदी की पुरानी सीमाओं की अपेक्षा वोरस (Vosges) पर्वत श्रृंखला की नवीन सीमाएँ अधिक सुगम एवं लाभदायक होगी
          और स्ट्रासबर्ग तथा मेन्ज के दुर्ग जर्मनी को अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करेंगे। इसके अतिरिक्त जर्मनी के उत्कृष्ट देशभक्तों के विचारों पर बिस्मार्क ने ध्यान दिया। उन्होंने मत व्यक्त किया कि अलजेक और लारेन प्रान्त मध्यकालीन जर्मन साम्राज्य के ही भाग थे और जर्मनी में इन प्रान्तों के पन: विलय से जर्मन साम्राज्य अत्यधिक शक्तिशाली हो जायेगा। अलजेक और लारेन की अधिकांश जनसंख्या ने सन 1871 में स्वयं को जर्मन राष्ट्र की अपेक्षा फ्रांसवासी ही व्यक्त किया। उन प्रान्तों के विलय का उनके निर्वाचित सदस्यों ने तीव्र विरोध किया। सन् 1870 के उपरान्त फ्रांस की प्रतिशोध की भावना से प्रेरित नीति के कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप प्रथम विश्व युद्ध हुआ।

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