प्रभावी संचार किसी भी व्यवसाय के लिए जीवन रक्त है क्योंकि संचार प्रक्रिया में जब एक सन्देश सम्प्रेषक (Sender) से प्राप्तकर्ता (Receiver) की और प्रवाहित अथवा संचारित होता है तो इसके प्रवाह में सम्प्रेषक के व्यवहार का अंश भी प्रवाहित होता है। संचार को तभी प्रभावी माना जाता है जब वह दूसरे व्यक्ति पर अपना महत्त्वपूर्ण प्रभाव छोड़ता है तथा सभी उद्देश्य प्राप्त करता है जिनके लिए संचार किया जाता है। मौखिक या लिखित रूप से प्रभावी संचार करना एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कौशल है। एक संचार को प्रभावी होने के लिए आवश्यक है कि वह स्पष्ट हो, संक्षेप में हो तथा अर्थ पूर्ण हो अर्थात उसमें किसी भी प्रकार की अशुद्धता न हो व उसकी प्रतिक्रिया अथवा प्रतिपुष्टि (Feedback) पूर्ण व अनुकूल हो।
परिभाषा (Definition)
हैनेयागर व करमैन (Haneyagar and Heckermann) के अनुसार, “प्रभावी संचार यह प्रक्रिया है जिसके द्वारा सूचना भेजी व प्राप्त की जाती है। यह प्रबन्ध के लिए आधारभूत व्यवस्था है जिसके बिना संगठन का अस्तित्व ही नहीं रह सकता। इसका कारण अत्यन्त स्पष्ट है कि यदि हम अपने कर्मचारियों के साथ संवाद नहीं कर सकेंगे तो हम किस प्रकार का काम चाहते हैं, यह सूचित नहीं कर सकेंगे।”