प्रकाश संश्लेषण तथा स्वसन में निम्नलिखित अंतर है :-
प्रकाश संश्लेषण
1) यह एक उपचयी (anabolic) क्रिया है जिसमें सरल तत्वों से जटिल कार्बनिक पदार्थ बनते हैं।
2) इस प्रक्रिया में कार्बनिक पदार्थों का संश्लेषण होता है जिससे पौधों के शुष्क भार में वृद्धि होती है।
3) इस प्रक्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल का उपयोग क्रियाधार (substrate) के रूप में होता है।
4) प्रकाशसंश्लेषण के क्रियाफल (end products) कार्बोहाइड्रेट व ऑक्सीजन हैं।
5) यह प्रक्रिया केवल दिन में होती है।
6) यह प्रक्रिया केवल प्रकाश की उपस्थिति में होती है।
7) इसमें विकिरण ऊर्जा (radiation energy) को जटिल कार्बनिक पदार्थों में रासायनिक ऊर्जा के रूप में संचित किया जाता है।
8) इस क्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण तथा आक्सीजन का विमोचन होता है।
9) इसमें ऊष्मा का अवशोषण होता है अत: यह एक ऊष्माशोषी (endothermic)क्रिया है।
10) इसमें पदार्थों का जल-अपघटन (hydrolysis) तथा कार्बोक्सिलीकरण (carboxylation) होता है।
11) ग्लूकोज के एक अणु के संश्लेषण के लिए ATP के 18 अणुओं की आवश्यकता होती है।
श्वसन
1) यह एक अपचयी (catabolic) क्रिया है जिसमें जटिल कार्बनिक पदार्थ ऑक्सीकृत होकर सरल पदार्थों में परिवर्तित हो जाते हैं।
2) इसमें कार्बनिक पदार्थों का उपयोग होता है अत: पौधे के शुष्क भार में कमी होती है।
3) श्वसन के क्रियाधार ग्लूकोस, प्रोटीन व अन्य भोज्य पदार्थ तथा ऑक्सीजन हैं।
4) श्वसन के क्रियाफल कार्बन डाइऑक्साइड, जल एवं ऊर्जा है।
5) यह क्रिया रात व दिन, हर समय होती है।
6) इसमें प्रकाश की आवश्यकता नहीं होती है।
7) इसमें रासायनिक पदार्थों में संचित ऊर्जा को ऑक्सीकरण द्वारा विमोचित किया जाता है।
8) इस क्रिया में ऑक्सीजन का अवशोषण तथा कार्बन डाइऑक्साइड का विमोचन होता है।
9) श्वसन में रासायनिक पदार्थों में संचित कुछ ऊर्जा ऊष्मा के रूप में विमोचित होती है अत: यह एक – ऊष्माक्षेपी (exothermic) क्रिया है।
10) इसमें पदार्थों का डी-जलअपघटन (dehydrolysis) तथा विकार्बोक्सिलीकरण (decarboxylation) होता है।
11) ग्लूकोज के एक अणु के ऑक्सीकरण से ATP के 38 अणु बनते हैं।