पूर्ति का अर्थ :- किसी वस्तु की पूर्ति का अर्थ वस्तु की उस मात्रा से है जिसे विक्रेता निश्चित समय में एक निश्चित कीमत पर बाजार में बेचने को तैयार है। अत: जिस प्रकार माँग सदैव किसी समय की अवधि तथा कीमत से जुड़ी रहती है,
उसी प्रकार पूर्ति भी किसी समय की अवधि तथा किसी कीमत के बिना कोई अर्थ नहीं रखती।
पूर्ति के बारे में यह कथन कि बाजार में गेहूँ की पूर्ति 5 हजार क्विण्टल है, कोई अर्थ नहीं रखता क्योंकि 5 हजार क्विण्टल की पूर्ति, किसी समय अवधि तथा कीमत पर है, यह नहीं बताया गया है। पूर्ण सही कथन यह होना चाहिए। ₹ 1,000 प्रति क्विण्टल की दर पर इस सप्ताह गेहूँ की पूर्ति 5 हजार क्विण्टल है।
पूर्ति की कुछ प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं
बेनहम के अनुसार, “पूर्ति का तात्पर्य वस्तु की उस मात्रा से लगाया जाता है जो प्रति समय इकाई में बिक्री के लिये उपलब्ध है।”
लिप्से के अनुसार, “पूर्ति एक प्रवाह है, इसे प्रतिदिन, प्रति सप्ताह, प्रति माह या प्रति वर्ष (अर्थात् प्रति समय इकाई) के रूप
में व्यक्त किया जाता है।
प्रो. मेयर के अनुसार, “पूर्ति किसी वस्तु की मात्राओं की अनुसूची है जो विभिन्न कीमतों पर किसी विशेष समय या समय की अवधि में उदाहरणार्थ एक दिन या एक सप्ताह आदि जिसमें पूर्ति की सभी दशाएँ स्थिर हों, विक्रय के लिए प्रस्तुत की जायँ।”
इस प्रकार हम पूर्ति का अर्थ उस मात्रा से लगाते हैं जो उत्पादक या विक्रेता किसी समय विशेष पर एक निश्चित मूल्य पर बेचने को तैयार होता है।
इस प्रकार पूर्ति में निम्न तत्वों का समावेश होता है
1. वस्तु की वह मात्रा, जिसे उत्पादक बेचने के लिए तैयार होता है।
2. वस्तु की कीमत, तथा
3. वह समय अन्तराल, जिसमें वस्तु की एक निश्चित मात्रा बेचने के लिए प्रस्तुत की गई है।