पुरन्दर की संधि जयसिंह ने पुरन्दर को जीतकर रायगढ़ को घेर लिया, फलस्वरूप 11 जून, 1665 ई. को शिवाजी व मिर्जा राजा जयसिंह के मध्य पुरन्दर की संधि हुई।
इस संधि के ही अन्तर्गत जयसिंह ने शिवाजी को औरंगजेब की अधीनता स्वीकार करने हेतु विवश किया तथा उनसे सकारात्मक स्वीकृति प्राप्त की।
पुरन्दर की संधि जयसिंह की राजनीतिक दूरदर्शिता का सफल परिणाम थी ।
पुरन्दर की संधि के पश्चात् मिर्जा राजा जयसिंह ने शिवाजी को मुगल दरबार में आगमन हेतु मना लिया था।
परन्तु शिवाजी का दरबार आगमन निर्धारित लक्ष्यों के अनुरूप नहीं रहा ।
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