एक जाग्रत मीडिया का विवेकशील संपादक अपने पाठकों, श्रोताओं तथा दर्शकों के लिए समाचारों की प्रस्तुति पूरी ईमानदारी के साथ करता है। वे लोग जो समाचार का खुलासा ईमानदारी से नहीं करते, पीत पत्रकार की श्रेणी में आते है तथा पत्रकारिता को
पीत पत्रकारिता कहते हैं।
पीत पत्रकारिता या यलो जर्नलिज्म का तात्पर्य है, किसी समाचार को सनसनीखेज और जरूरत से ज्यादा चटपटा बनाकर प्रस्तुत करना।
आपराधिक मामलों के समाचारों को प्रमुखता देकर छापना, आदि।
आज तो अनेक समाचार-पत्र और टीवी चैनल पीत पत्रकारिता से रंगे हुए होते हैं।
वैसे तो पत्रकारिता के हर आयाम में पीत पत्रकारिता से बचना चाहिए, पर विज्ञान पत्रकारिता में पीत पत्रकारिता के लिए कोई स्थान नहीं है।
इनसे समाज का भला नहीं बुरा ही होता है, क्योंकि ये विकृत मानसिकता के पोषक हैं।
पीत पत्रकारिता की श्रेणी में आने वाली मीडिया की कामाचार, हिंसा और तोड़फोड़ की खबरों में ही दिलचस्पी रहती है।
इससे जुड़े पत्रकार तथ्यों को तोड़मरोड़ कर समाचारों का लेखन इस प्रकार करते हैं, जिससे उनके पाठकों-दर्शकों ओर श्रोताओं की विकृत मानसिकता को पोषण मिलता रहे।
ऐसे पत्रकारों के लिए सूचना और स्वस्थ मनोरंजन में किसी संतुलन की आवश्यकता महसूस नहीं होती।
किसी भी मीडिया को लोकप्रिय बनाने का अर्थ यह कदापि नहीं है कि उसे सनसनीखेज खबरों की ही खोज रहे।