पर्यावरण के घटकों को कितने भागों में बांटा गया है

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      jivtaraankit
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        पर्यावरण के घटकों को 4 भागों में बांटा गया है
        1.वायुमंडल
        2.स्थलमंडल
        3.जलमंडल
        4. जीवमंडल

        इन प्राकृतिक संसाधनों में हवा, पानी, मिट्टी, खनिज के साथ-साथ जलवायु और सौर ऊर्जा शामिल हैं , जो प्रकृति के निर्जीव या अजैविक भाग का निर्माण करते हैं।

        ‘जैविक’ या प्रकृति के सजीव भाग पौधों, जानवरों और रोगाणुओं से मिलकर बनते हैं।

        1. वायुमंडल – वायु का आवरण जो पृथ्वी को चारों ओर से घेरे हुए है, वायुमंडल कहलाता है ।

        वायुमंडल पृथ्वी पर एक सुरक्षा कवच का निर्माण करता है।

        वायुमंडल से अाशय पृथ्‍वी के चारों तरफ विस्‍तृत गैस के आवरण से है

        वायुमंडल गैस जलवाष्‍प धूल के कणों का मिश्रण है , सबसे निम्नतम परत, क्षोभमंडल है।

        क्षोभमंडल हमारे जीवित रहने के लिए एकमात्र जरूरी गरम हिस्सा है जो केवल 12 किलोमीटर घना है।

        समताप मंडल 50 किलोमीटर घना है और सल्फेट की एक परत इसमें शामिल है जो बारिश होने के लिए महत्वपूर्ण है।

        2.स्थलमंडल – स्थलमंडल का गठन एक गर्म पदार्थ के रूप में लगभग 4.6 बिलियन वर्ष पहले हुआ था।

        पृथ्वी की सबसे ऊपरी परत स्थलमंडल है। इसकी मोटाई 30-40 किमी. है।

        पृथ्वी की पपड़ी 6 या 7 किलोमीटर घनी या मोटी है और महाद्वीपों में बंटी हुई है।

        जब चट्टानें टूटती हैं तो उस मिट्टी का गठन करते हैं जिस पर मनुष्य खेती के लिए निर्भर रहता है।

        उनका खनिज भी कच्चा माल होता हैं जिसे विभिन्न उद्योगों में प्रयोग किया जाता हैं।

        मिट्टी एक मिश्रण है। इसमें चट्टान के छोटे कण शामिल होते हैं।

        इसमें जीवीत जीवों के सड़े हुए टुक़डे भी शामिल होते हैं। जिसे खाद कहा जाता है।

        खाद मिट्टी की संरचना तय करने में एक प्रमुख कारक है क्योंकि इस कारण मिट्टी और अधिक छिद्रपूर्ण हो जाती है और पानी तथा हवा को भीतर तक भूमिगत

        होने में मदद करती है।

        3.जलमंडल – जलमंडल धरातल के जल वाले भाग को जलमंडल कहते हैं । धरातल का लगभग 1/3 भाग जल से ढका है ।

        जलमंडल का एक प्रमुख हिस्सा, सागर का समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र है। समुद्र , जलमंडल का वह बड़ा भाग, जो तीन तरफ जल से घिरा हो और एक तरफ

        महासागर से मिला हो, समुद्र कहलाता है। पृथ्‍वी पर संपूर्ण जल का 96.5% हिस्‍सा महासागरीय जल का है ।

        नदियों, झीलों और ग्लेशियरों में ताजा पानी हमेशा वाष्पीकरण और वर्षा की एक प्रक्रिया से नवीकृत हो जाता है।

        वनों की कटाई जैसी मानवीय गतिविधियां जलमंडल में गंभीर परिवर्तन अथवा संकट पैदा करती हैं।

        4. जीवमंडल – पृथ्वी के धरातल से लेकर बहिर्मण्डल वातावरण को जैवमंडल कहा जाता हैं।

        यह पृथ्वी पर अपेक्षाकृत पतली परत है जिसमें जिंदगी मौजूद हो सकती है। इसमें जीवित जीव होते हैं

        इस ढांचे के भीतर, मोटे तौर पर इसी तरह के भूगोल और जलवायु की विशेषता के साथ-साथ पौधों और पशु जीवन के समुदायों के विभिन्न जैव भौगोलिक स्थानों

        को सुविधानुसार विभाजित किया जा सकता है।

        ये अलग-अलग महाद्वीपों में होते हैं।

        जैवमंडल का निर्माण और निरंतर अस्तित्‍व का परिणाम रासायनिक जैविक और भौतिक प्रक्रियाओं से हाेेता है ।

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