परिसीमन आयोग किया है संक्षेप्त वर्णन कीजिये ?

  • Post
Viewing 0 reply threads
  • उत्तर
      भारतीय संविधान की धारा 82 के अनुसार प्रत्येक जनगणना के पश्चात् ताजा जनसंख्या आंकड़ों के अनुसार लोकसभा और विधान सभाओं के निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन होना चाहिए।

      मुख्य चुनाव आयुक्त परिसीमन आयोग का अध्यक्ष होता है। संविधान में परिसीमन आयोग के संबंध में कोई स्पष्ट निर्देश नहीं दिया गया है।

      1973 ई. के तीस वर्षों बाद 2002 ई. में चौथा परिसीमन आयोग गठित किया गया।

      चौथे परिसीमन आयोग का गठन 12 जुलाई, 2002 को न्यायमूर्ति कुलदीप सिंह की अध्यक्षता में लिया गया जो 2001, की जनगणना के आधार पर किया गया।

      चौथे परिसीमन आयोग की अनुशंसाएं उत्तर-पूर्व के चार राज्यों (असम, अरुणाचल, मणिपुर व नागालैंड) और झारखंड को छोड़कर बाकी राज्यों पर लागू होंगी।

      झारखंड में सरकारी नीति के विपरीत आरक्षित सीटें कम होने के कारण एवं पूर्वोत्तर के चारों राज्यों में स्थानीय विरोध के कारण परिसीमन नहीं हो सका।

      नये परिसीमन से 84वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2001 के तहत् ही सीटों का स्थान यथावत बना रहेगा जिसमें 2026 ई. तक लोकसभा एवं राज्य विधानसभा की सीटों की संख्या अपरिवर्तित रहेगी।

      नये परिसीमन के बाद अनुसूचित जातियों की सीटों की संख्या वर्तमान 32 से बढ़ाकर 35 और अनुसूचित जनजातियों के लिए 41 से बढ़ाकर 48 करने का प्रावधान है।

      अब तक गठित परिसीमन आयोग पहला परिसीमन आयोग 1952 , दूसरा परिसीमन आयोग 1962 ,तीसरा परिसीमन आयोग 1973 ,चौथा परिसीमन आयोग 2002 को

Viewing 0 reply threads
  • You must be logged in to reply to this topic.