परिमेय संख्या एक ऐसी संख्या है जो एक पूर्णांक को दूसरे पूर्णाक (शून्य को छोड़कर) से भाग देने पर मिलती है | यदि p और q कोई दो पूर्णांक हों तो परिभाषानुसार p/q को परिमेय संख्या कहते हैं,
जहाँ (q = 0) तथा p और q में कोई उभयनिष्ठ गुणनखंड नहीं हो जैसे-1/2, 2/3, 3/4, 4/5…………
अगर वर्गमूल चिह्न के अन्दर घिरी हुई राशि का पूर्ण वर्ग हो जाय, तो वह संख्या परिमेय संख्या होगी उदाहरण – √4/√9=(2×2/3×3)=2/3
परिमेय संख्या के विशेष गुण
(i) प्रत्येक प्राकृत संख्या एक परिमेय संख्या भी है. क्योंकि यदि किसी भी प्राकृत संख्या में एक से भाग दिया जाए तो वह परिमेय संख्या (p/q) का रूप धारण कर लेती हैं |
(ii) परिमेय संख्या हमेशा लघुतम रूप में लिखी जाती है |
(iii) परिमेय संख्या p/q में हमेशा कोई उभयनिष्ठ गुणनखण्ड नहीं रहता है |
(iv) प्रत्येक पूर्णांक भी एक परिमेय संख्या है, परन्तु प्रत्येक परिमेय संख्या पूर्णांक नहीं होती है |
(v) परिमेय संख्याओं का परिवार पूर्णांकों के परिवार से बड़ा होता है |
(vi) परिमेय संख्या धनात्मक और ऋणात्मक दोनों होती है |
(vii) परिमेय संख्याओं का कोई अन्त नहीं है, अर्थात् अनन्त है |
(viii) परिमेय संख्या योगफल और गुणनफल के सापेक्ष उन सभी नियमों का पालन करती है, जो एक पूर्णांक करता है. इसके अतिरिक्त वे गुणात्मक प्रतिलोम नियम का भी पालन करती हैं |