कई पदों के योग से बने वाक्यांशों को, जो एक पद का काम करता है, उसे पदबंध कहते हैं।
डॉ. हरदेव बाहरी के अनुसार, वाक्य के उस भाग को, जिसमें एक से अधिक पद परस्पर संबद्ध होकर अर्थ तो देते हैं, किंतु पूरा अर्थ नहीं देते, पदबंध या वाक्यांश कहलाते हैं:
जैसे- “सबसे तेज दौड़ने वाला छात्र जीत गया।’ इस वाक्य के ‘सबसे तेज दौड़ने वाला छात्र’ में पाँच पद मिलकर एक ही पद अर्थात् संज्ञा का कार्य कर रहे हैं। अतः यह संज्ञा पदबंध का उदाहरण है।