तीन एकांत नाटक के नाटककार
निर्मल वर्मा है |
1975 में, निर्मल वर्मा की तीन कहानियाँ प्रस्तुत की गई थीं-संभवतः वे ही जो तीन एकांत नाम से एक नाटक के रूप में छप गई |
निर्मल वर्मा सूक्ष्म मानसिकता को दिखानेवाले कथाकार हैं।
उनकी कहानियों में बाहरी घटना या कि जिसे कार्य-व्यापार कहा जा सकता है, वह बहुत कम है।
निर्मल वर्मा मानसिक जगत में होनेवाली हल्की-सी लहरों को बहत बारीकी से पकड़ते हैं।
इसलिए उस समय लगा कि कहानी को सीधे प्रस्तुत करने के प्रयोग में निर्मल वर्मा जैसे मुख्यतः मानसिक जगत के रचनाकार को चुनना शायद दुस्साहस का काम है पर वह पहला प्रयास ही बहत कामयाब रहा और उन कहानियों के भीतर जो संवेदना है, उसमें जो एक तरह की अमूर्तता है, भावों की, विचारों की जो टकराहट है, वह बहुत सहज भाव से उस प्रस्तुति में संप्रेषित हो सकी।
वे तीनों ही उनकी विख्यात कहानियाँ हैं : डेढ़ इंच ऊपर, धूप का एक टुकड़ा और वीकएंड।
इन कहानियों का परिवेश अलग-अलग तरह का है, हालांकि अनुभव के स्तर पर वे एक ही बात कह रही हैं, जो तीन एकांत नाम से भी ज़ाहिर होती है |