तिर्यक रेखा किसे कहते हैं

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    koyli
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        jivtaraankit
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          दो या दो से अधिक रेखाओं को भिन्न-भिन्न बिंदुओं पर प्रतिच्छेद करने वाली रेखा को तिर्यक रेखा कहते है।
          तिर्यक रेखा के एक ही ओर के अंत: कोण संपूरक होते हैं ।
          यदि दो रेखाओं को एक तिर्यक रेखा प्रतिच्छेदित करती है, तो दो रेखाओं के समांतर होने की आवश्यक और पर्याप्त स्थितियां हैं-
          तिर्यक रेखा किसे कहते हैं
          (1) संगत कोण बराबर होते हैं।
          अर्थात ∠1 = ∠5, ∠2 = ∠6, ∠3 = ∠7, ∠4=∠8

          (2) एकान्तर अन्तः कोण बराबर होते हैं।

          अर्थात ∠3 = ∠5,  ∠4 = ∠6.

          (3) क्रमागत अंतः कोणों का युग्म (तिर्यक रेखा के एक ही ओर के अंतः कोण) को सह अंतः कोण या पूरक कोण भी कहते हैं।

          अर्थात ∠3 + ∠6 = 180° और ∠4+ ∠5 = 180°

          (4) एकान्तर बाह्य कोण बराबर होते हैं।

          अर्थात ∠1 = ∠7,  ∠2 = ∠8

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