डूबत अथवा अप्राप्य ऋण :-
कभी-कभी ग्राहकों से उधार बेचे गये माल की राशि वसूल नहीं हो पाती है। ऐसा तब होता है जबकि :
(i) ग्राहक की आर्थिक स्थिति खराब हो जाती है या वह दिवालिया (Bankrupt/Insolvent) हो जाता है।
अथवा
(ii) ग्राहक जानबूझकर या बदनीयती के कारण नहीं चुकाता है।
ग्राहकों से रुपये वसूल न होने पर जो क्षति होती है, उसे ‘डूबत खाता’ या ‘अप्राप्य ऋण खाता’ या ‘अशोध्य ऋण खाते’ में लिखा जाता है। फलतः ‘डूबत खाता’ या ‘अप्राप्य ऋण खाते’ (Bad Debt Ac) को ‘डेबिट’ और देनदार या ऋणी को ‘क्रेडिट’ किया जाता है।
अप्राप्य ऋण/डूबत ऋण की प्रविष्टि :
Bad Debts A/c
Dr. To Debtors A/c (Being the amount written off)
जब ग्राहक या ऋणी के दिवालिया होने पर आंशिक राशि (अन्तिम निपटारे में लाभांश के रूप में) प्राप्त हो तो जितनी राशि नहीं मिलती है, उसका अपलेखन किया जाता है।
देनदार से आंशिक रूप से प्राप्त राशि और शेष डूबत ऋण के लिए प्रविष्टि :
Cash A/c
Bad Debts A/C
Dr. To Debtors A/c
(Being cash received and bad debt written off)
डूबत ऋण प्राप्ति खाता (Bad Debts Received Account)- कभी-कभी ऐसा होता है कि जिस ऋण को डूबत ऋण खाते (Bad Debts Account) में लिखा जा चुका होता है, कुछ समय बाद वह राशि प्राप्त हो जाती है। ऐसी स्थिति में इसके लिए निम्नलिखित प्रविष्टि की जाती है :
Cash A/C
Dr. To Bad Debts Recovered A/c
(Being bad debts written off last year, now recovered)