जैव-प्रौद्योगिकी के प्रयोग से कृषि उत्पादन में वृद्धि के लिए ‘ट्रांसजेनिक कृषि आधुनिकतम एवं प्रभावी तकनीक है। इसमें पौधों की प्रजातियों में गुणात्मक विकास हेतु उसके प्राकृतिक जीन में कृत्रिम उपायों या रिकांबिनेंट डी.एन.ए. तकनीक द्वारा किसी दूसरे पौधे के जीन का कुछ भाग जोड़ दिया जाता है। इस परिवर्तन से पौधे में कई नवीन विशिष्टताओं का समावेश हो जाता है; जैसे- गुणवत्ता एवं उत्पादकता में वृद्धि, प्रोटीन, खनिजों आदि की मात्रा में वृद्धि करके पौष्टिकता में वृद्धि, जल आवश्यकता में कमी या बीमारियों एवं कीटों के प्रति प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि। भारतीय वैज्ञानिकों ने ट्रांसजेनिक अरहर, चना, कपास एवं तंबाकू आदि में कीटनाशक प्रोटीन तैयार करने वाले बैसिलिस थूरिरिन्जएन्सिस (BT) नामक बैक्टीरिया का जीन डाला है, जिससे इनकी प्रतिरोधक क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। इसके अतिरिक्त अनेक किस्मों के जेनेटिकली माडीफॉइड आर्गेनिज्म (जीएमओ) बीजों का उपयोग करके उत्पादकता में तीव्रता से वृद्धि का प्रयास किया जा रहा है।