जैव विविधता शब्द
वाल्टर जी. रोजेन ने 1985 दिया।
यद्यपि संकल्पनात्मक रूप से इस शब्द का प्रयोग प्रथम बार प्रसिद्ध कीट वैज्ञानिक विल्सन (E.O. Wilsion) ने 1986 में जैविक विविधता पर अमेरिकन फोरम के लिए प्रस्तुत प्रतिवेदन में किया।
उन्होंने राष्ट्रीय संसाधन परिषद को जैविक विविधता की जगह जैव विविधता शब्द का सुझाव दिया।
जैव विविधता जीवन और विविधता के संयोग से निर्मित शब्द है जो आम तौर पर पृथ्वी पर मौजूद जीवन की विविधता और परिवर्तनशीलता को संदर्भित करता है। जैव विविधता एक प्राकृतिक संसाधन है जिससे हमारी जीवन की सम्पूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति होती है।
जैव विविधता विशिष्टतया अनुवांशिक, प्रजाति, तथा पारिस्थितिकि तंत्र के विविधता का स्तर मापता है। जैव विविधता किसी जैविक तंत्र के स्वास्थ्य का द्योतक है।
जैव-विविधता के प्रकार –
1 अनुवांशिक जैव-विविधता– आनुवंशिक विविधता का आशय एक ही प्रजाति के विभिन्न जीवों के जीनों में होने वाले परिवर्तन से है। इसके कारण ही जीवों में भिन्न-भिन्न नस्लें देखने को मिलती हैं।
2. प्रजातीय जैव-विविधता- प्रजातियों के मध्य पायी जाने वाली विविधता को प्रजातीय जैव-विविधता कहते हैं ।
3. पारिस्थितिकी जैव-विविधता- किसी भौगोलिक क्षेत्र में पारिस्थितिक तंत्रों की विविधता को पारिस्थितिकी जैव-विविधता कहते हैं. विश्व में विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिक तंत्र हैं ,जिनमें नदी, वन, पर्वत, झील, समुद्र, मरुस्थल, आदि प्रमुख हैं।