1.दोंनो धर्मों ने संघों का र्निमाण किया था और उनमें शामिल होने वाले भिक्षुओंं के लिए नियम बनाए इन भिक्षुओंं के लिए विहारों और मठों का भी प्रबंध किया गया, दोनों ने ही भिक्षुओंं के लिए व गृहस्थ लोगों के लिए अलग अलग कानूनों की व्यवस्था की
2. दोंनो धर्मों ने पाली तथा प्राकृत भाषा में ही अपने धर्म का प्रचार किया, जो कि जनसाधारण की भाषा थी , इसके अलावा इन्हीं भाषाओं में, दोंनो धर्मों ने अपनें -अपनें ग्रंथों की रचना की , इस तरह यह दोनों धर्म लोकप्रिय बन गयें
3. दोंनो धर्मों ने सामाजिक सामानता पर अधिक बल दिया, इन दोंनो धर्मों ने जात- पात, भेदभाव, उँच-नीच , छुआ -छुत को जरा भी स्वीकार नहीं किया, केवल मनुष्य मात्र समानता कों स्वीकार किया