किसी भी जीव का वर्गीकरण में स्थान निर्धारित कर उसे एक निश्चित नाम देना नामकरण कहलाता है |
नामकरण पद्धति की क्या आवश्यकता
हम जानते है की जीव के नाम, स्थान व भाषा के अनुसार बदलते रहते है |
एक ही जीव के अनेक नाम हो जाते है और जिससे पहचान करने में असुविधा होती है|
इसी असुविधा को देखते हुए कार्ल लीनियस नामक एक स्वीडिश जीव वैज्ञानिक ने जीवों के लिए एक ऐसे नामकरण की आवश्यकता महसूस की, जिसे पुरे संसार में एक ही नाम से पुकारा जा सके |
इस नाम को उन्होंने वैज्ञानिक नाम दिया |
वैज्ञानिक नाम में किसी भी जीव का नाम दो पदों में रखा जाता है इसलिए इसे द्विनाम पद्धति कहा जाता है |
द्विनाम पद्धति में नामकरण की प्रक्रिया –
1. प्रत्येक जीव के नाम का पहला शब्द वंश तथा दूसरा शब्द जाति को प्रदर्शित करता है |
2. वंश का पहला अक्षर अंग्रेजी के बड़े अक्षरों द्वारा बाकि अक्षर छोटे अक्षरों में होते है | जाति के सभी अक्षर अंग्रेजी के छोटे अक्षरों में होते है |
3. नाम का font style सदैव italic या underline में होते है |
प्रमुख जीव तथा उनके वैज्ञानिक नाम
- शेर – Panthera leo
- गौरेया – Passer domesticus
- हाथी – Elephas maximus
- मोर – Pavo cristatus
- मनुष्य – Homo sapiens
- मेढक – Rana tigrina
- बाघ – Panthera tigris
- मक्खी – Musca domestica
- आम – Mangifera indica