जल दुर्लभता जल की कमी को कहा जाता है।
किसी क्षेत्र के जल की आवश्यकता को पूरा करने के लिये पर्याप्त स्रोत का न होना , जल दुर्लभता कहलाता है।
पूरे विश्व में लगभग 2 अरब 80 करोड़ लोग पूरे वर्ष में कम से कम 1 माह के लिये जल की दुर्लभता से प्रभावित होते हैं।
इसका प्रमुख कारण निम्न है :-
1. बढ़ती जनसंख्या : अधिक जनसंख्या के कारण अनेक देशों को इस समस्या का सामना करना पड़ रह है। एक बड़ी जनसंख्या का मतलब अधिक जल है। जल का उपयोग घरेलु उपयोग में ही नहीं बल्कि अधिक खाद्यान्न उत्पादन में भी लिया जाता है।
2.औद्योगीकरण तथा शहरीकरण : स्वतंत्राता के बाद भारत में तेजी से औद्योगीकरण और शहरीकरण हुआ और विकास के अवसर प्राप्त हुए। उद्योगों की बढ़ती हुई संख्या के कारण अलवणीय जल संसाधनों पर दाव बढ़ रहा है। उद्योगों को अत्यधिक जल के अलावा उन्हे चलाने के लिए ऊर्जा की भी आवश्यकता होती है और इसकी काफी हद तक पूर्ति जल विध्युत से होती है।
3. कृषि का व्यवसायिकरण : एक व्यवसाय फसल को अधिक जल तथा अन्य पदार्थो की आवश्यकता होती है। सिंचाई के लिए अधिक जल का उपयोग किया जा रहा है, जिससे भूमिगत जल स्तर कम होता जा रहा है। जल का मुख्य स्त्रोत वर्षा हैं। लेकिन भारत में मानसून अनिश्चित रूप से पहुँचता है। तथा वर्षा का वितरण भी असमान होता है।