नदी जब पर्वतों से नीचे उतरती है तो पर्वतों की तलछटी या आधार पर वह मोटे कणों के रूप में तलछट का निक्षेप करती है, इससे जलोढ़ शंकु व पंख बनते हैं।
कई पंखों के मिलने से एक मैदान बन जाता है, जिसे गिरपदीय जलोढ़ मैदान कहते हैं।
इसकी रचना नदी की युवावस्था समाप्त होने पर प्रौढ़ तथा वृद्धावस्था में होती है।
भारत में भाबर व तराई के मैदान इसी प्रकार के हैं।
शिवालिक के गिरिपद क्षेत्र से अरावली तक तथा यमुना और घग्घर नदियों के मध्य विस्तृत यह उच्च भूमि का जलोढ़ मैदान है, जिसे बाँगर भी कहते हैं।
इस क्षेत्र में मारकण्डा, सरस्वती तथा चोटांग नदियाँ बहती हैं।
समुद्र तल से इसकी ऊँचाई सामान्यत: 220-280 मी के मध्य है।
यह राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के 68.2% क्षेत्र में फैला है।