जनसंख्या संगठन से आप क्या समझते हैं

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      jivtaraQuizzer
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        जनसंख्या संगठन उन विशेषताओं को प्रदर्शित करता है जिनकी माप की जा सकती है और जो जन समूहों में अंतर स्पष्ट करने में सहायक होते हैं।

        जनसंख्या संगठन के मुख्य घटक आयु संरचना, लिंग, साक्षरता, आवास का स्थान आदि हैं।

        आयु संरचना :- यह विभिन्न आयु वर्गों में लोगों की संख्या को दर्शाता है। सामान्यतः जनसंख्या को तीन प्रमुख आयु वर्गों में बाँटा जाता है।

        (i) युवा/तरुण वर्ग (0-14 वर्ष)
        (ii) प्रौढ़/वयस्क वर्ग (15-59 वर्ष)
        (iii) वृद्ध वर्ग (60 वर्ष से अधिक)

        इन आयु वर्गों के सामाजिक-आर्थिक तथा राजनीतिक निहितार्थ हैं।

        जब किसी जनसंख्या में बच्चों की संख्या अधिक होती है तो निर्भरता (Dependeney) का अनुपात बढ़ जाता है।

        इसके विपरीत 15 से 59 वर्ष की आयु वर्ग में अधिक जनसंख्या होने पर, कार्यशील जनसंख्या (Working population) अधिक हो जाती हैं।

        60 वर्ष से अधिक आयु वर्ग की जनसंख्या अधिक होने पर वृद्धों की देखभाल पर अधिक व्यय होता है।

        स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों की अधिक जन्म दर :- कुछ अज्ञात कारणों से, विश्व के लगभग सभी समाजों में स्त्री जन्म दर की अपेक्षा, पुरुष जन्म-दर अधिक होती है।

        परन्तु जन्म से पहले तथा जन्म के बाद घटने वाली घटनायें प्रायः जन्म के समय की स्थिति को परिवर्तित कर देती है।

        जैसे:- विकासशील देशों में शिशु मृत्यु दर, बालिकाओं की अपेक्षा बालकों में अधिक होती है।

        इसके परिणामस्वरूप बालकों की जन्म के समय की अधिकता, प्रायः एक वर्ष में ही समाप्त हो जाती है।

        इसी तरह विकसित देशों में भी जीवन की सभी अवस्थाओं में पुरुष मृत्यु दर, स्त्री मृत्यु दर की अपेक्षा अधिक होती है।

        ग्रामीण नगरीय संघटन:- जनसंख्या का ग्रामीण-नगरीय विभाजन अतिआवश्यक है क्योंकि ग्राम एवं नगर, जीवन-यापन तथा सामाजिक पर्यावरण की दृष्टि से एक दूसरे से भिन्न होते हैं।

        व्यावसायिक संरचना, जनसंख्या का घनत्व एवं सामाजिक व आर्थिक विकास के स्तरों में दोनों में विशेष अंतर होता है।

        ग्रामीण जनसंख्या मुख्यतः प्राथमिक व्यवसायों, जैसे:- कृषि, वानिकी, पशुपालन आदि में लगी होती है और लोगों के बीच बहुत संगठित सामाजिक संबंध होते हैं।

        इसके विपरीत, नगरीय जनसंख्या गैर कृषि कार्यों में लगी होती है और नगरीय जीवन पद्धति तीव्र तथा सामाजिक संबंध औपचारिक होते हैं।







        प्रवासः- प्रवास, जनांकिकी गतिकी का महत्वपूर्ण घटक है जो किसी देश की जनसंख्या के लिंग अनुपात पर गहरा प्रभाव डालता है।

        अधिकांश विकासशील देशों, विशेषकर एशियाई तथा अफ्रीकी देशों में बड़ी संख्या में पुरुष. ग्रामीण इलाकों से नगरों की ओर आजीविका की तलाश में प्रवास करते हैं। भारत में भी इसी प्रकार की प्रवृत्ति पायी जाती है।

        इससे गाँवो में पुरुषों तथा नगरों में स्त्रियों के अनुपात में कमी आती हैं।

        उदाहरण के लिए कोलकाता में, प्रति हजार पुरुषों पर 570 स्त्रियों की संख्या का होना इसका ज्वलत उदाहरण है।

        साक्षरता:- संयुक्त राष्ट्र के जनसंख्या आयोग के अनुसार 15 वर्ष या इससे अधिक आयु वर्ग का व्यक्ति यदि एक सरल कथन को समझकर पढ़ तथा लिख सकता है तो वह साक्षर है, साक्षरता दर, कुल जनसंख्या में साक्षर व्यक्तियों के प्रतिशत को दर्शाती है।

        विश्व के विभिन्न भागों में साक्षरता दर में अत्यधिक भिन्नता पाई जाती है।

        साक्षरता दर को प्रभावित करने वाले कारकों में आर्थिक विकास का स्तर, नगरीकरण, जीवन स्तर, महिलाओं की सामाजिक स्थिति, अधिक सुविधाओं की उपलब्धता तथा सरकारी नीतियाँ प्रमुख हैं।

        आर्थिक विकास का स्तर स्वयं साक्षरता का कारण और परिणाम दोनों ही हैं।

        उन्नत तथा नगरीय अर्थव्यवस्थायें, उच्चतर साक्षरता दर तथा उच्चतर शैक्षणिक स्तर को प्रतिबिंबित करती हैं।

        ये घटक विकास की भावी योजनाओं को निश्चित करने में सहायक होते हैं।

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