छत्तीसगढ़ में निम्न पांच मंदिरों को शक्ति पीठ कहा गया है परन्तु इन्हें भारत के 52 शक्ति पीठ में कभी शामिल किया जाता है कभी नहीं –
1.रतनपुर महामाया मंदिर (बिलासपुर )
मान्यता है कि रतनपुर में देवी सती का दाहिना स्कंद गिरा था | भगवन शिव ने स्वयं आविर्भूत होकर उसे कौमारी शक्ति पीठ का नाम दिया था | जिसके कारण माँ के दर्शन से कुंवारी कन्याओ को सौभाग्य की प्राप्ति होती है | नवरात्री पर्व पर यहाँ की छटा दर्शनीय होती है | इस अवसर पर श्रद्धालूओं द्वारा यहाँ हजारो की संख्या में मनोकामना ज्योति कलश प्रज्जवलित किये जाते है |
2. डोंगरगढ़ बम्लेश्वरी मंदिर (राजनांदगांव )
लगभग 2200 साल पहले, डोंगरगढ़ एक काफी संकरा इलाका था जिसका नाम कामवती था, जिसे महाराजा कामसेन ने कामाख्या नगरी भी कहा था। जब उनकी रानी ने एक बेटे को जन्म दिया तो उन्होंने उसका नाम मदनसेन रखा। चूंकि राजा वीरसेन ने इसे भगवान शिव और पार्वती का आशीर्वाद माना था, इसलिए उन्होंने डोंगरगढ़ में श्री बमलेश्वरी मंदिर का निर्माण किया।
3. खल्लारी मंदिर (महासमुंद )
महासमुन्द से 25 किमी दक्षिण की ओर खल्लारी गांव की पहाड़ी के शीर्ष पर खल्लारी माता का मंदिर स्थित है। प्रतिवर्ष क्वांर एवं चैत्र नवरात्र के दौरान बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ इस दुर्गम पहाड़ी में दर्शन के लिये आती है। हर साल चैत्र मास की पूर्णिमा के अवसर पर वार्षिक मेले का आयोजन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि महाभारत युग में पांडव अपनी यात्रा के दौरान इस पहाड़ी की चोटी पर आये थे, जिसका प्रमाण भीम के विशाल पदचिन्ह हैं जो इस पहाड़ी पर स्पष्ट दिख रहे हैं।
4. चंद्रहासिनी मंदिर चंद्रपुर (जांजगीर चापा )
महानदी के तट पर चन्द्रहासिनी देवी माता का एक अद्भुत मंदिर है। नवरात्रि के समय यहॉ भव्य मेला का आयोजन किया जाता है। साथ ही यह एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है यहॉ अन्य राज्यों जैसे ओडिसा से भी लोग आते है। यह एक पवित्र स्थान है व पर्यटन स्थल के रूप में दिन ब दिन अपनी ख्याति बना रहा है।
5. दंतेश्वरी मंदिर ( दंतेवाडा )
दंतेश्वरी मॉ मंदिर बस्तर की सबसे सम्मानित देवी को समर्पित मंदिर, 52 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। माना जाता है कि देवी सती की दांत यहां गिरा था, इसलिए दंतेवाड़ा नाम का नाम लिया गया।