इस प्रकार के अपरदन में तेज वर्षा का जल जो तीव्र ढाल या पहाड़ी से होकर निकलता है तो अपने साथ मिट्टी की ऊपरी उपजाऊ परत को बहाकर ले जाता है
जिसके कारण मिट्टी की ऊपरी परत का स्थानान्तरण हो जाता है और भूमि बंजर हो जाती है।
इस अपरदन का मुख्य कारण है, वनों की कमी व अत्यधिक चराई का होना वन व वनस्पति मृदा को बाँधकर रखते हैं और उसे बहने से रोकते हैं इनके न होने से पानी द्वारा मृदा को आसानी से बहाकर ले जाया जाता है चादर अपरदन कहते हैं
जब जल तेजी से बहता है तो उसकी विभिन्न धाराएँ मृदा को कुछ गहराई तक काटकर धरातल पर नालियाँ व गड्ढे बना देती हैं। इस प्रकार के अपक्षरण को अवनालिका अपरदन (Gully Erosion) कहते हैं।
ऐसी भूमि जोतने के योग्य नहीं रहती और इसे उत्खात भूमि (Bad Land ) कहते हैं।
चम्बल बेसिन में इस प्रकार की भूमि को खड्ड (Ravine) भूमि कहते हैं। कभी-कभी जल विस्तृत क्षेत्र को ढके हुए ढाल के साथ नीचे की ओर प्रवाहित होता है। ऐसी स्थिति में इस भू-भाग की ऊपरी मृदा घुलकर जल के साथ बह जाती है। इसे चादर अपरदन (Sheet Erosion) कहते हैं।