जयदेव का जन्म ओडिशा में भुवनेश्वर के पास केन्दुबिल्व नामक ग्राम में हुआ था । जयदेव संस्कृत के महाकवि थे । ये लक्ष्मण सेन शासक के दरबारी कवि थे । वैष्णव भक्त और संत के रूप में जयदेव सम्मानित थे ।
गीतगोविन्द 12वीं शताब्दी के भारतीय कवि जयदेव द्वारा रचित ग्रंथ है। यह कृष्ण और वृन्दावन की गोपियों तथा विशेष रूप से राधा नामक गोपी और कृष्ण के बीच सम्बन्धों की व्याख्या करता है। जयदेव द्वारा रचित ‘गीतगोविन्द’ की लोकप्रियता के कई कारण हैं। पहला कारण स्वाभाविक रूप से इस ग्रंथ का अतुलनीय आंतरिक काव्यात्मक सौंदर्य है।
इनकी सर्वोत्तम गीत रचना ‘गीत गोविन्द’ के नाम से संस्कृत भाषा में उपलब्ध हुई है। माना जाता है कि दिव्य रस के स्वरूप राधा-कृष्ण की रमणलीला का स्तवन कर जयदेव ने आत्मशांति की सिद्धि की। संत महीपति जो भक्ति विजय के रचयिता है, उन्होंने श्रीमद्भागवतकार व्यास का अवतार जयदेव को माना है।
जयदेव ‘गीतगोविन्द’ और ‘रतिमंजरी’ के रचयिता थे। श्रीमद्भागवत के बाद राधा-कृष्ण लीला की अद्भुत साहित्यिक रचना उनकी कृति ‘गीत गोविन्द’ को माना गया है। जयदेव संस्कृत कवियों में अंतिम कवि थे।