ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की मजार पर पहली इमारत किसने बनवाया था

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      ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की मजार पर पहली इमारत मालवा के सुल्तान ग्यासुद्दीन तुगलक बनवाया था

      अजमेर स्थित ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर आज भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु अपनी मन्नतें माँगने जाते हैं। यह दरगाह दिल्ली और गुजरात को जोड़ने वाले व्यापारिक मार्ग पर स्थित होने के कारण भी यात्री यहाँ अधिक आते हैं।

      शेख मुइनुद्दीन चिश्ती की मजार पर मालवा के सुल्तान ग्यासुद्दीन तुगलक ने पहली इमारत का निर्माण कराया था।

      सर्वप्रथम यहाँ आने वाला सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक (1324-1351 ई.) था। मुगल सम्राट अकबर महान् यहाँ 14 बार आया था। यहाँ के शाही दस्तावेजों में उन ब्यौरों का उल्लेख है जिनमें प्रत्येक यात्रा के दौरान अकबर ने यहाँ दान-भेंट दी।

      शहंशाह अकबर के पश्चात् अजमेर में चिश्ती साहब की दरगाह पर आने वालों में शाहजहाँ की पुत्री जहाँआरा का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है।

      जहाँआरा वस्तुत: बहु-आयामी प्रतिभा की शहजादी थी। सार्वजनिक कार्यों में उसने हिस्सा लिया। चाँदनी चौक निर्माण कार्य में उसका महत्वपूर्ण योगदान था।

      धर्म-कर्म में भी उसकी रुचि थी जहाँआरा ने शेख मुइनुद्दीन चिश्ती की जीवनी ‘मुनिस अल अरवाह’ अर्थात् ‘आत्मा का विश्वत’ का सृजन किया।

      जहाँआरा द्वारा लिखित इस रचना में दरगाह की पवित्रता एवं वहाँ जाकर करने वाली प्रार्थना के तौर-तरीकों की झलक मिलती है। साथ ही यह पता चलता है कि जहाँआरा को उस पवित्र दरगाह के प्रति कितनी अधिक आस्था एवं विश्वास था।

      जहाँआरा बताती है कि वीरवार को रमजान के पाक माह के चौथे दिन’ अर्थात् | इतिहास की दृष्टि से यह कथन महत्वपूर्ण है, इससे तत्युगीन समय के काल निर्धारण | में इतिहासकारों को मदद मिलती है।

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