भारत का नेपोलियन समुद्रगुप्त को कहा जाता है |
चन्द्रगुप्त का उत्तराधिकारी समुद्रगुप्त हुआ जो 335 ई. में राजगद्दी पर बैठा। इसने आर्यावर्त के 9 शासकों और दक्षिणावर्त के 12 शासकों को पराजित किया।
इन्हीं विजयों के कारण इसे स्मिथ महोदय द्वारा भारत का नेपोलियन कहा गया है। हरिषेण इसका दरबारी कवि था। समुद्रगुप्त के इतिहास का सर्वप्रमुख स्रोत उसी का अभिलेख है, जिसे ‘प्रयाग-प्रशस्ति‘ कहा जाता है।
यह लेख मूलतः कौशाम्बी में खुदवाया गया था। यह ब्राह्मी लिपि में तथा विशुद्ध संस्कृत भाषा में लिखा हुआ है। यह संस्कृत की चम्पू शैली का सुंदर उदाहरण है।
आर्यावर्त के द्वितीय युद्ध में, उसने उत्तरी भारत के राजाओं का विनाश कर उन्हें अपने राज्य में मिला लिया। आर्यावर्त में 9 राजा थे। इस नीति को प्रशस्ति में प्रसभोद्धरण कहा गया।
(i) रुद्रदेव कौशाम्बी का राजा था।
(ii) मत्तिल बुलन्दशहर का राजा था।
(iii) नागदत्त के राज्य की पहचान संदिग्ध है
(iv) चन्द्रवर्मा बांकुडा जिले का शासक था
(v) गणपति नाग मथुरा
(vi) नागसेन पद्मावती में शासन करते थे
(vii) अच्युत बरेली का राजा था
(viii) नन्दि, बलवर्मा के राज्यों की पहचान संदिग्ध है।
समुद्रगुप्त ने ‘लिच्छवि दौहित्र’, ‘सर्वराजोच्छेता’ और ‘अश्वमेघ पराक्रमः’ आदि उपाधियाँ धारण की थी।