कलम का सिपाही किसे कहा जाता है

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      jivtaraankit
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        कलम का सिपाही मुंशी प्रेमचंद को कहा जाता है

        मुंशी प्रेमचंद हिंदी के प्रसिद्ध थे, उनका मुकाबला आज के बड़े लेखक भी नही कर पाते हैं।

        मुंशी प्रेमचंद को कलम का सिपाही उनके छोटे बेटे अमृतराज ने दी थी, और उनकी कलम का सिपाही नाम से उनकी जीवनि को प्रकाशित किया था।

        मुंशी प्रेमचंद का असली नाम धनपत राय श्रीवास्‍तव था।

        प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी जिले (उत्तर प्रदेश) के लमही गाँव में एक कायस्थ परिवार में हुआ था।

        उनकी माता का नाम आनन्दी देवी तथा पिता का नाम मुंशी अजायबराय था जो लमही में डाकमुंशी थे।

        मुंशी प्रेमचंद को यह उपाधि देने की बड़ी वजह यह है कि इनकी कलम से सिर्फ समाज कि सच्चाइयों को कागज पर उतारना है, साहित्य में इसे ही यथार्थवाद

        के नाम से जाना जाता है।

        मुंशी प्रेमचंद जी द्वारा लिखि‍त अधिकांश रचनाओं में उपन्यास, कहानी और नाटक है ।

        ऐसे ही समाज की बुराई और अच्छाई दोनो को अपनी कलम के माध्यम से कहानियों और उपन्यासों के माध्यम से हमारे सामने लाया इन्होंने करीब 300 कहानियां

        और 12 से ज़्यादा उपन्यास लिखे।

        सेवासदन, गबन, गोदान, निर्मला, रंगभूमि आदि इनके प्रमुख उपन्यास है ।

        पंच परमेश्वर, बूढ़ी काकी, पूष की रात, कफ़न, ईदगाह इनकी लिखित कहानियां है ।

        आज भी उनके उपन्यासों और कहानियों के पात्र जीवंत प्रतीत होते हैं.

        उनका सम्पूर्ण साहित्य धार्मिक सामाजिक, जातीय दंभ,आर्थिक शोषण, खोखली देशभक्ति, असमानता, असहिष्णुता,अनाचार, भ्रष्टाचार, पाखंड, लिंग

        भेद,अवसरवादिता अन्धविश्वास, अकर्मण्यता, आलस्य, बनावटीपन, शेखीखोरी, असहिष्णुता, धर्मान्धता, विलासिता, के विरुद्ध संघर्ष है.

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