कबीर के 1 दोहे का कौन सा भाग भीष्म साहनी के एक नाटक का शीर्षक है

  • Post
Viewing 0 reply threads
  • उत्तर
      कबीर के 1 दोहे का कौन सा भाग भीष्म साहनी के एक नाटक का शीर्षक है:- “कबिरा खड़ा बजार में”

      भीष्म साहनी के चर्चित नाटक कबिरा खड़ा बजार में को देखें। नाटक प्रारंभ होता है, तो एक झोंपड़े के सामने सत पका रहा होता है, तभी एक जुलाहा कंधे पर थान रखे आता है।

      उसका आना तर्कसंगत लगता है, क्योंकि उसे कबीर का माल उसके घर पहुँचाना है, पर उसके बाद दोनों का बैठ कर बातें करने लगना नाटकीयता की दृष्टि से विचारणीय हो जाता है

      कोई गंभीर स्थिति नहीं है, कोई समस्या नहीं है, मुख्य पात्र कबीर सामने है ही नहीं, उसके पिता के मन में कबीर के लिए विशेष चिंता हो, ऐसा नहीं लगता।

      कबिरा खड़ा बजार में’ नाटक में मैंने कबीर को आधुनिक संदर्भ में खड़ा करने का प्रयास नहीं किया है,बल्कि यह कोशिश की है कि उसे उसके अपने काल और परिवेश के संदर्भ में दिखाया जाए।

      कबीर के व्यक्तित्व में बहुत-से पहलू हैं, जिन्हें उभारा जा सकता था। उनका व्यक्तिगत संघर्ष, निर्गुण की अवधारणा तक पहुँचने की उनकी खोज और प्रक्रिया, धर्माचार का विरोध, उनकी आध्यात्मिकता आदि ।

      मैंने कबीर को इन सभी पहलुओं के संदर्भ में,प्रत्येक पहलू को समान रूप से महत्त्व देते हुए नहीं दिखाया है, उनके व्यक्तित्व के विकास में इन सभी तत्त्वों की देन की चर्चा करते हुए भी, मैंने उनके धर्माचार-विरोधी पक्ष को उनकी निर्गुण संबंधी मूल मान्यता के प्रकाश में उभारने की कोशिश की है।

      इसे भले ही आप कबीर का आधुनिकीकरण कह लें, परंतु वास्तव में यह कबीर के तत्कालीन जीवन तथा संघर्ष को ही दिखाता है। हाँ, इसमें से जो स्वर फूटते हैं, वे आज के हमारे सामाजिक जीवन के लिए बड़े प्रासंगिक हैं।

      यदि मैंने कबीर को आधुनिक सामाजिक संदर्भ में खड़ा करने की कोशिश की होती-जोकि बड़ा अटपटा-सा प्रयास होता तो वह अपनी ज़मीन छोड़कर अतिकाल्पनिक’ रचना बन जाती।

       

Viewing 0 reply threads
  • You must be logged in to reply to this topic.