टेराकोटा:- पक्की मिट्टी का उपयोग करके मूर्तियां आदि बनाने की कला को टेराकोटा के नाम से जाना जाता है।
लोक देवताओं की पूजा के साथ-साथ मिट्टी के खिलौने व मूर्तियां बनाने का काम पूरे प्रदेश में वर्षों से चल रहा है। नाथद्वारा के पास स्थित मोलेला गांव इस कला का प्रमुख केंद्र बना हुआ है।
इसी प्रकार हरजी गांव (जालौर) के कुम्हार मामाजी के घोड़े बनाते हैं। मोलेला तथा हरजी दोनों ही स्थानों में कुम्हार मिट्टी में गधे की लीद मिलाकर मूर्तियां बनाते हैं व उन्हें ताप पर पकाते है।
1. मिट्टी की मूर्तियों और बर्तन को आग में पकाकर बनाने की कला को टेराकोटा कहते हैं। राजसमंद में सर्वाधिक
2. टेराकोटा की मूर्तियां बनाने में राजसमंद जिले की नाथद्वारा तहसील का मोलेला गांव प्रसिद्ध है।
3. मिट्टी के खिलौने, गुलदस्ते, गमले तथा पशु-पक्षियों की कलाकृतियों के काम के लिए नागौर जिले का बनूरावतां गांव प्रसिद्ध है।
4. रंगमहल से स्वीडन की पुरावेता श्रीमती हन्नारिड़ को एक मिट्टी का कटोरा मिला है जो वर्तमान में स्वीडन के संग्रहालय में सुरक्षित
5. नोह (भरतपुर) में एक मिट्टी का ढक्कन मिला है, जिसके मध्य भाग पर एक पक्षी की आकृति बनी है ऐसा समूचे भारत में कहीं उपलब्ध नहीं।
6. मालव नगर (टोंक) में शुंगकालीन खड़िया मिट्टी से निर्मित देवी का फलक मिला।