उपसर्ग और प्रत्यय किसे कहते है उदाहरण सहित समझाए

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      उपसर्ग:-  उपसर्ग उस शब्दांश या अव्यय को कहते हैं, जो धातुओं, संज्ञाओं और विशेषणों के पहले आकर उनके अर्थ में परिवर्तन ला देता है

      जैसे- ‘अन’ उपसर्ग को ‘बन’ के पहले रख देने पर नया शब्द ‘अनबन’ बनता है, जिसका विशेष अर्थ मनमुटाव होता है.

      प्र, दुस, निस्, निर्, वि, अति, अधि, अनु, अप, अभि, अव, उत्, उद्, उप, नि, परि, पति, सम आदि उपसर्ग हैं

      उदाहरण:- सु + कर्म (कार्य) = सुकर्म (सुंदर कार्य)

      • अनु । चर (चलने वाला) = अनुचर (पीछे चलने वाला)

      • प्रति + कूल (किनारा) = प्रतिकूल (विपरीत)

      • उप + वन (जंगल) = उपवन (वाटिका)  आदि ।

      प्रत्यय:-   प्रत्यय उस शब्दांश को कहते हैं, जो किसी शब्द के अन्त में आकर उस शब्द के विभिन्न अर्थ में प्रकट करते हैं. प्रत्यय शब्द के अन्त में आता है. जैसे ‘भला’ शब्द के अन्त में आई प्रत्यय लगाकर ‘भलाई’ शब्द बनता है

      उदाहरण:- नी – शेरनी, चोरनी

      इया – चुहिया, गुड़िया

      आइन – ललाइन, पंडिताइन

      पन – बचपन, लड़कपन, पीलापन आदि ।

      यह दो प्रकार के हैं.

      (क) कृत् प्रत्यय – क्रिया की मूल धातु के अन्त में लगने वाले प्रत्ययों को कृत प्रत्यय कहते हैं. ऐसे शब्दों को कृदन्त कहते हैं.

      यह प्रत्यय क्रिया अर्थात् धातु का नया अर्थ देता है. कृत प्रत्यय के योग से संज्ञा विशेषण बनते हैं. हिन्दी में क्रिया के अन्त में से ‘ना’ हटा देने से जो अंश बच जाता है, वही धातु है

      जैसे  कहना–कह,

      चलना-चल

      वैया – खेवैया

      अनीय – दर्शनीय

      आड़ी – खिलाड़ी आदि ।

      (ख) तद्धित – संज्ञा और विशेषण के अन्त में लगने वाले प्रत्ययों को तद्धित प्रत्यय कहते हैं और इसके मेल से बने शब्द को ‘तद्धितान्त’ कहते हैं

      मानव (संज्ञा) + ता = मानवता

      अपना (सर्वनाम) + पन = अपनापन 

      मधुर (विशेषण) + इमा = मधुरिमा  आदि ।

       

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