उपमा अलंकार के कितने अंग होते हैं?

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      उपमा अलंकार- समान गुण-धर्म के आधार पर जहाँ एक वस्तु की समानता/तुलना किसी दूसरी वस्तु से की जाती है, वहाँ उपमा अलंकार की व्यंजना होती है। इसके चार अंग होते हैं

      उपमेय-जिसकी उपमा दी जाये।

      उपमान-जिससे उपमा दी जाये।

      साधारण धर्म- उपमेय तथा उपमान के बीच जो भाव, रूप, गुण, क्रिया आदि समान धर्म हो, उसे साधारण धर्म कहते हैं।

      वाचक- उपमेय और उपमान की समानता को प्रकट करने वाले| शब्दों (जैसे-सा, इव, सम, समान, सों आदि) को वाचक शब्द कहते हैं।

      उदाहरण- सुनि सुर सरि सम पावन बानी।

      यहाँ पवित्र वाणी (उपमेय) की तुलना गंगा (उपमान) की तुलना पवित्रता (साधारण धर्म) के आधार पर ‘सम’ (वाचक शब्द) द्वारा की जा रही है। अतः यहाँ उपमा अलंकार की पुष्टि होती है।।

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