उत्पादन फलन से क्या अर्थ है

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        उत्पादन फलन से  अर्थ है:- उपादानों (Inputs) एवं उत्पादनों (Outputs) के फलनात्मक सम्बन्ध (Functional Relationship) को उत्पादन फलन कहा जाता है

        उत्पादन फलन हमें यह बतलाता है कि समय की एक निश्चित अवधि में उपादानों के परिवर्तन से उत्पादन आकार में किस प्रकार और कितनी मात्रा में परिवर्तन होता है।

        इस प्रकार उपादानों की मात्रा और उत्पादन की मात्रा के भौतिक सम्बन्ध को उत्पादन फलन कहा जाता है।

        उत्पादन फलन केवल भौतिक मात्रात्मक सम्बन्ध पर आधारित है, इसमें मूल्यों का समावेश नहीं होता।

        प्रो. लेफ्टविच के शब्दों में, “उत्पादन फलन का अभिप्राय फर्म के उचित साधनों और प्रति समय इकाई वस्तुओं और सेवाओं के बीच का भौतिक सम्बन्ध है जबकि मूल्यों को छोड़ दिया जाये।”1 गणितीय रूप में,
        x = f(A,B,C,D)

        जहाँ x फर्म के उत्पादन तथा A, B, C तथा D विभिन्न उत्पत्ति के साधनों को बता रहे हैं।

        इस प्रकार उत्पादन फलन एक आर्थिक नहीं वरन् तकनीकी समस्या है। किसी फर्म का उत्पादन फलन उत्पादन तकनीक (Technique of Production) पर आधारित होता है।

        एक फर्म उस उत्पादन तकनीक का चुनाव करेगी जिसकी सहायता से वह अपने पास उपलब्ध उत्पत्ति के साधनों का पूर्ण विदोहन (Optimum Utilisation) करते हुए अपने उत्पादन को अधिकतम कर सके।

        उत्पादन तकनीक का सुधार निश्चित रूप से उत्पादन में वृद्धि करेगा।

        इस प्रकार सरल शब्दों में कहा जा सकता है कि “उत्पादन फलन एक ऐसी सारणी है जो दी गयी उत्पादन तकनीक के अन्तर्गत उत्पत्ति के साधनों को एक निश्चित संयोग द्वारा उत्पादित अधिकतम उत्पादन को प्रदर्शित करती है।”

        उत्पादन फलन में यदि स्थिर तथा दी गयी तकनीक को सम्मिलित कर लिया जाये तब,

        x = f [A,B,C,D; T]

        जहाँ T उपलब्ध तकनीक का सूचक है।

        प्रत्येक व्यावसायिक फर्म का अपना एक उत्पादन होता है जो मुख्यत: तकनीकी स्तर एवं प्रबन्धकीय और संगठन योग्यता से निर्धारित होता है।

        जब किसी फर्म के संगठन एवं तकनीकी स्तर में परिवर्तन होता है तब फर्म के उत्पादन फलन में तद्नुसार परिवर्तन हो जाता है।

        उत्पादन फलन की मान्यताएँ

         (1) उत्पादन फलन का सम्बन्ध किसी निश्चित समयावधि से होता है।

        (2) उत्पादन फलन के सभी उत्पादन अल्पकाल में परिवर्तित नहीं किये जा सकते अर्थात् अल्पकाल में फर्म के कुछ साधन स्थिर तथा अन्य परिवर्तनशील होते हैं।

        (3) दीर्घकाल में उत्पादन फलन के सभी उपादान परिवर्तनशील होते हैं।

        (4) तकनीकी स्तर में कोई परिवर्तन नहीं होता तथा फर्म सर्वश्रेष्ठ तकनीक अपनाती है।

        (5) उत्पत्ति के साधनों को छोटी-छोटी इकाइयों में विभाजित किया जा सकता है।

        उत्पादन फलन की विशेषताएँ 

        (1) उत्पादन फलन उत्पत्ति के साधनों एवं उत्पादन के भौतिक मात्रात्मक सम्बन्ध को बताता है। वस्तुतः उत्पादन फलन एक अभियान्त्रिक धारणा  है।

        (2) उत्पादन फलन में उपादानों एवं उत्पादन की कीमतों का कोई समावेश नहीं होता। इस प्रकार उत्पादन फलन उपादानों एवं उत्पादन मूल्यों से पूर्ण स्वतन्त्र होता है।

        (3) उत्पादन फलन का सम्बन्ध एक समयावधि से होता है। एक समयावधि में एक उत्पादन फलन हो सकता है जो समय की अवधि परिवर्तित होने पर परिवर्तित हो सकता है।

        (4) उत्पादन फलन स्थिर तकनीकी दशा पर आधारित है। तकनीकी दशाओं के परिवर्तित हो जाने पर उत्पादन फलन भी परिवर्तित हो जाता है तथा फर्म को नवीन उत्पादन फलन प्राप्त होता है।

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