इल्तुतमिश का प्रारम्भिक जीवन–इल्तुतमिश का जन्म मध्य एशिया के एक इल्बारी तुर्क परिवार में हुआ था। वह आकर्षक तथा गुणसम्पन्न बालक था।
उसके ईर्ष्यालु भाइयों ने उसे जमालुद्दीन मुहम्मद नामक एक दास व्यापारी को बेच दिया। गजनी में कतबद्दीन ने उसे जमालद्दीन से खरीदा। यहाँ उसने सैनिक शिक्षा प्राप्त की। अपने गुणों तथा योग्यता से वह स्वामी का कृपापात्र बन गया।
1205 ई. में उसने खोक्खरों के विरुद्ध युद्ध में असीम वीरता तथा साहस का प्रदर्शन किया था जिसके कारण मुहम्मद गोरी ने उसे दासता से मुक्त कर दिया था। ग्वालियर की विजय के बाद उसे ग्वालियर का किलेदार नियुक्त कर दिया गया। इसके बाद उसे बरन का गवर्नर नियुक्त किया गया।
कुतुबुद्दीन उसकी योग्यता से इतना प्रभावित था कि उसने अपनी पुत्री का विवाह इल्तुतमिश से कर दिया। कुतुबुद्दीन की मृत्यु के बाद दिल्ली के नागरिकों तथा अधिकारियों ने मुख्य काजी के परामर्श पर दिल्ली आमंत्रित किया और उसे सुल्तान बनने का आग्रह किया।
आरामशाह को पराजित करके उसने सुल्तान पद सुरक्षित कर लिया।
इल्तुतमिश की अनेक उपलब्धियाँ थी- 1.उसने कुतुबी अमीरों का दमन करके अपनी सत्ता को सुदृढ़ किया। इसके लिए उसे आरामशाह के समर्थको से युद्ध करना पडा।
2.उसने एलदौज और कबाचा जैसे प्रतिद्वन्द्रियों को कटनीतिक चालों तथा अन्त में सैनिक कार्यवाही से समाप्त कर दिया। एलदौज स्वयं को दिल्ली सल्तनत का सार्वभौम शासक मानता था और कुबाचा ने कुतुबुद्दीन की मृत्यु के बाद स्वतंत्रता की घोषणा कर दी थी।
3.उसने मंगोल आक्रमण से सल्तनत की रक्षा की जो एक गम्भीर संकट था।
4.उसने राजस्थान, बुन्देलखण्ड, दोआब, अवध के राजपूतों को पराजित करके सल्तनत के क्षेत्र को पुनर्विजित किया।
5.उसने बंगाल और बिहार को फिर से जीता। वास्तव में कुतुबुद्दीन की मृत्यु के बाद सल्तनत छिन्न-भिन्न हो चुकी थी। इल्तुतमिश ने इसे पुनः स्थापित किया और स्थायी बनाया।
योग्य प्रशासक – इल्तुतमिश असाधारण प्रतिभा सम्पन्न सेनापति और प्रशासक था। उसने प्रशासन तंत्र को नियमित आधार पर संगठित किया, किलों में सैनिकों की नियुक्ति की, राजस्व व प्रशासनिक अधिकारी नियुक्ति किये, मुद्रा सम्बन्धी सुधार किये।
(1) उसने योग्य अधिकारियों का एक वर्ग संगठित किया। ये उसके गुलाम थे जिनकी सेवा और निष्ठा में इल्तुतमिश को विश्वास था।
(2) न्याय व्यवस्था के लिए उसने सभी नगरों में काजियों की नियुक्ति की। (3) उसने शुद्ध अरबी भाषा के चाँदी के टंके जारी किये जिनका भार 175 ग्रेन था।