अल्पाधिकार अपूर्ण प्रतियोगिता का वह रूप है जिसमें उद्योग (या समूह) में केवल कुछ फर्मे होती हैं जो एक दिये गये उत्पादन क्षेत्र में या तो समरूप वस्तुएँ बनाती हैं या फिर उनकी वस्तुओं में उत्पादन विभेदीकरण’ पाया जाता है।
अल्पाधिकार मॉडल जिसमें व्यवसायी कल्पना करता है कि उसके प्रतिस्पर्धियों का उत्पादन स्थिर है और फिर निर्णय करता है कि कितना उत्पादन करें |
कूर्नो ने 1838 में सर्वप्रथम अल्पाधिकारी बाजार सिद्धान्त का प्रतिपादन किया।
अल्पाधिकारी बाजार की प्रमुख विशेषताएँ हैं
(1) कुछ विक्रेता।
(2) कीमत एवं उत्पादन निर्धारण की नीतियों में विक्रेताओं के बीच पारस्परिक निर्भरता।
(3) विभिन्न फर्मों के उत्पादों के लिए ऊँची माँग की आड़ी लोच।
(4) विज्ञापन एवं विक्रय लागत (अर्थात् गैर-कीमत प्रतियोगिता)।
(5) प्रतिद्वन्द्वियों के बीच निरन्तर संघर्ष।
(6) अनिर्धारणीय माँग वक्र।
(7) कीमत दृढ़ता (विकुंचित माँग वक्र के कारण)।
अल्पाधिकार अपूर्ण प्रतियोगिता का वह रूप है जिसमें उद्योग (या समूह) में केवल कुछ फर्मे होती हैं जो एक दिये गये उत्पादन क्षेत्र में या तो समरूप वस्तुएँ बनाती हैं या फिर उनकी वस्तुओं में उत्पादन विभेदीकरण’ पाया जाता है।
अल्पाधिकार मॉडल जिसमें व्यवसायी कल्पना करता है कि उसके प्रतिस्पर्धियों का उत्पादन स्थिर है और फिर निर्णय करता है कि कितना उत्पादन करें |
कूर्नो ने 1838 में सर्वप्रथम अल्पाधिकारी बाजार सिद्धान्त का प्रतिपादन किया।
अल्पाधिकारी बाजार की प्रमुख विशेषताएँ हैं
(1) कुछ विक्रेता।
(2) कीमत एवं उत्पादन निर्धारण की नीतियों में विक्रेताओं के बीच पारस्परिक निर्भरता।
(3) विभिन्न फर्मों के उत्पादों के लिए ऊँची माँग की आड़ी लोच।
(4) विज्ञापन एवं विक्रय लागत (अर्थात् गैर-कीमत प्रतियोगिता)।
(5) प्रतिद्वन्द्वियों के बीच निरन्तर संघर्ष।
(6) अनिर्धारणीय माँग वक्र।
(7) कीमत दृढ़ता (विकुंचित माँग वक्र के कारण)।