अल-बिरूनी उज्बेकिस्तान के ख्वारिज्म प्रदेश से आया था जो वर्तमान में रूस में स्थित है।
वह उच्चकोटि का शिक्षित व्यक्ति था।
महमूद गज़नवी के भारत आक्रमण के दौरान वह उसके साथ आया था |
महान ज्योतिषी, दार्शनिक, गणितज्ञ एवं संस्कृत का विद्वान था।
1017 ई० में महमूद के ख्वारिज्म आक्रमण के पश्चात् वह एक बंधक के रूप में गजनी लाया गया।
भारतीय ज्ञान के प्रति जिज्ञासा ने उसे उस समय भारत भ्रमण हेतु आकर्षित किया।
उसने पंजाब और उत्तर भारत के कई हिस्सों की यात्रा की।
उसने भारतीय सभ्यता और समाज तथा यहाँ व्याप्त सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक स्थिति पर गहनता से प्रकाश डाला।
उसके द्वारा रचित ग्रंथ ‘तहकीक-ए-हिंद’ उस काल के इतिहास का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत है।
अल-बिरूनी ने संस्कृत के कई ग्रंथों का फारसी में अनुवाद किया।
अल-बिरूनी की पुस्तक ‘तहकीकए-हिंद’ अरबी भाषा में लिखी गयी है।
कई भाषाओं का ज्ञाता होने के कारण अल-बिरूनी भाषाओं की तुलना और ग्रंथों का अनुवाद करने में सक्षम रहा।
1048 ई० में सत्तर (70) वर्ष की आयु में गजनी में इसका निधन हो गया।