रामचरितमानस में सात कांड है । जिनके नाम इस प्रकार हैं –
1. बालकाण्ड
2. अयोध्याकाण्ड
3. अरण्यकाण्ड
4. किष्किन्धाकाण्ड
5. सुन्दरकाण्ड
6. लंकाकाण्ड (युद्धकाण्ड)
7. उत्तरकाण्ड
छन्दों की संख्या के अनुसार बालकाण्ड सबसे बड़े और किष्किन्धाकाण्ड छोटे काण्ड हैं।
यह वह ग्रंथ है, जो जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को दिशा प्रदान करता है।
आज से चार सौ वर्ष पूर्व गोस्वामी तुलसीदास ने जिस रामचरितमानस की रचना की, वह आज भी जीवित है।
पिछली चार शताब्दियों से न केवल हिंदी-भाषी जनता में वरन् उन सब लोगों में, जो हिंदी-भाषियों से संबंधित रहे हैं. रामचरितमानस एक महान् ग्रंथ के रूप में स्वीकृत है।
ग्रंथ-परिचय- रामचरितमानस में मर्यादा पुरुषोत्तम राम के पावन चरित्र की झाँकी प्रस्तुत की गई है।
महाकवि तुलसीदास ने संवत् 1631 में रामचरितमानस को लिखना आरंभ किया और यह महान् ग्रंथ संवत् 1633 में लिखकर पूरा हुआ।
इस ग्रंथ की रचना अवधी भाषा में की गई है ।
इसमें सात कांड हैं, जिनका क्रम इस प्रकार है-बालकांड, अयोध्याकांड, अरण्यकांड, किष्किंधाकांड, सुंदरकांड, लंकाकांड, उत्तरकांड ।
तुलसीदास का रामचरितमानस एक ऐसा ग्रंथ है, जिसके अध्ययन से प्रत्येक व्यक्ति को संतुष्ट, सुखी और सर्वहितकारी जीवन व्यतीत करने में सहायता मिलती है |