मंत्री परिषद् सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है (अनुच्छेद 75)। जैसे ही यह लोक सभा का विश्वास खोती है उसे अपना त्यागपत्र देना पड़ता है। मंत्री परिषद् के किसी एक मंत्री के प्रति अविश्वास प्रस्ताव पास कर दिया जाता है तो यह समस्त मंत्री परिषद् के प्रति अविश्वास माना जाता है और इसके लिए समस्त मंत्री परिषद् को त्यागपत्र देना पड़ता है। सामूहिक उत्तरदायित्व के सिद्धान्त का यह भी अर्थ है कि मंत्रिगण अपने मतभेदों को खलेआम प्रकट नहीं कर सकते। यदि मंत्री परिषद् का कोई सदस्य इस के निर्णय से सहमत न हो तो उसे अपना त्यागपत्र दे देना चाहिए। सामूहिक उत्तरदायित्व होने के साथ-साथ प्रत्येक मंत्री अपने विभाग का व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी है तथा उसे राष्ट्रपति (प्रधानमंत्री) के परामर्श पर उसके पद से हटा सकता है भले ही उसे लोक सभा का समर्थन प्राप्त हो।
शक्तियां (Powers) मंत्री परिषद् को निम्न शक्तियां प्राप्त हैं:-
1. यह देश की नीति निर्धारित करती है जिसके आधार पर प्रशासन चलाया जाता है।
2. यह सभी महत्त्वपूर्ण विधायकों तथा प्रस्तावों को संसद में प्रस्तुत करती है तथा उन्हें पारित कराती है।
3. यह संसद के सम्मुख देश का बजट प्रस्तुत करती है। भले ही संसद को बजट में परिवर्तन करने का अधिकार है परन्तु प्रायः यह उसे उसी रूप में पारित कर देती है जिस रूप में वह प्रस्तुत किया जाता है।
4. यह देश की विदेश नीति निर्धारित करती है और यह निश्चित करती है कि अन्य शक्तियों के साथ किस प्रकार से सम्बन्ध स्थापित किए जाएं। राष्ट्रपति सभी राजदूतों की नियुक्ति मंत्री परिषद् की सिफारिश पर करता है। सभी अंतर्राष्ट्रीय समझौतों तथा संधियों का अनुमोदन मंत्री परिषद् द्वारा किया जाता है।
5. मंत्री परिषद् के कैबिनेट स्तर के मंत्री राष्ट्रपति को युद्ध, विदेशी आक्रमण तथा सशस्त्र विद्रोह के आधार पर आपातकालीन परिस्थिति की घोषणा करने का परामर्श देते हैं।