जेंडर बजट:- किसी बजट में उन तमाम योजनाओं और कार्यकमों पर किया गया खर्च जिनका | संबंध महिला और शिशु कल्याण से होता है, उसका उल्लेख जेंडर बजट माना जाता है।
जेंडर बजट के माध्यम से | सरकार महिलाओं के विकास, कल्याण और सशक्तिकरण से संबंधित योजनाओं और कार्यक्रमों के लिए प्रतिवर्ष एक निर्धारित राशि की व्यवस्था सुनिश्चित करने का प्रावधान करती है।
शुरुवात 2005:- जेंडर बजट में महिलाओं से सम्बन्धित योजनाओं को तैयार किया जाता है। दरअसल जेंडर बजट का आशय पुरुर्षों और महिलाओं के लिए अलग-अलग खर्च प्रावधानों से नहीं है।
यह एक ऐसा बजट है जिसमें महिलाओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए सकारात्मक कार्यवाही का प्रावधान किया जाता है ताकि सार्वजनिक व्यय और नीति में महिला सरोकारों को मुख्य धारा में लाया जा सके।
जेंडर बजट की आवश्यकता के पीछे निम्न तर्क दिए जा सकते हैं
• भारत की कुल जनंसख्या का लगभग 19% महिलाओं की जनसंख्या है, जो कि मानव संसाधनों का एक बड़ा हिस्सा है।
•महिलाओं को सेवाओं संसाधनों तक पहुँच और नियंत्रण में असमानताओं का सामना करना पड़ता है।
• महिलाओं की विशिष्ट जरूरतें हैं, इन्हें विशेष रूप से पूरा किये जाने की आवश्यकता है।
• अधिकांश सार्वजनिक व्यय और नीतिगत सरोकार स्त्री-पुरुष ‘निरपेक्ष क्षेत्रों में होते हैं।
जेंडर बजट आयोजन के लिए रोड मैप
• महिलाओं की स्थिति के सम्बन्ध में स्थिति का विश्लेपण
• यह आकलन करना कि कार्यक्रमों और नीतियों का महिलाओं पर क्या प्रभाव पड़ा और कितने सकारात्मक सुधार हुए (उनकी स्थिति के सन्दर्भ में)
• यह निर्धारित करना कि कितना और किस योजना पर खर्च किया गया
• आर्थिक नीतियों के निर्माण में महिलाओं एवं सिविल सोसायटी की भागीदारी को सुदृढ़ करना
• महिलाओं के सन्दर्भ में विकास से सम्बन्धित प्रतिबाध्यताओं एवं नीतियों की निगरानी करना
• सभी मंत्रालयों/विभागों में जेंडर बजटिंग संरचना के निर्माण पर बल देना
जेंडर बजट के समक्ष चुनौतियाँ
• फील्ड स्तर पर आयोजन और कार्यान्वयन में महिलाओं की सीमित
भागीदारी
• नियमित निगरानी का अभाव
• क्षमता विकास की कमी
• सामाजिक-आर्थिक बाधाओं का प्रचलन