अखरावट मलिक मोहम्मद जायसी की रचना है |
अखरावट में जायसी ने सूफ़ी दृष्टि से सृष्टि-रचना-पूर्व की ब्रह्मावस्था से लेकर जीव-जगत्-उत्पत्ति के बाद की अध्यात्म-साधना द्वारा साधक की आत्मा के परम सत्य के साथ एकमेक होने का वर्णन किया है।
अखरावट में जायसी ने सूफ़ी दृष्टि से सृष्टि-रचना-पूर्व की ब्रह्मावस्था से लेकर जीव-जगत्-उत्पत्ति के बाद की अध्यात्म-साधना द्वारा साधक की आत्मा के परम सत्य के साथ एकमेक होने का वर्णन किया है।
अखरावट सृष्टि की रचना को वर्ण्य विषय बनाया गया है।
अखरावट के विषय में जायसी ने इसके काल का वर्णन कहीं नहीं किया है।
सैय्यद कल्ब मुस्तफा के अनुसार यह जायसी की अंतिम रचना है।
इससे यह स्पष्ट होता है कि अखरावट पद्मावत के बाद लिखी गई होगी, क्योंकि जायसी के अंतिम दिनों में उनकी भाषा ज़्यादा सुदृढ़ एवं सुव्यवस्थित हो गई थी, इस रचना की भाषा ज़्यादा व्यवस्थित है।
इसी में जायसी ने अपनी वैयक्तिक भावनाओं का स्पष्टीकरण किया है।
इससे भी यही साबित होता है, क्योंकि कवि प्रायःअपनी व्यक्तित्व भावनाओं स्पष्टीकरण अंतिम में ही करता है।
मनेर शरीफ़ से प्राप्त पद्मावत के साथ अखरावट की कई हस्तलिखित प्रतियों में इसका रचना काल दिया है।
‘अखरावट’ की हस्तलिखित प्रति पुष्पिका में जुम्मा 8 जुल्काद 911 हिजरी का उल्लेख मिलता है।
इससे अखरावट का रचनाकाल 911 हिजरी या उसके आस पास प्रमाणित होता है।