हुंड के नियम के अनुसार p, d तथा f उपकक्षा में इलेक्ट्रॉन के जोड़े तब तक नहीं बनते जब तक कि प्रत्येक कम से कम एक इलेक्ट्रॉन न हो।
हुण्ड का अधिकतम बहुलकता का नियम- वैज्ञानिक हुण्ड (Hund, 1925) ने किसी तत्व के परमाणु के उपऊर्जा स्तरों (Sub energy level) अर्थात् उपकोशों के विभिन्न कक्षकों में इलेक्ट्रॉनों को भरने के लिये एक नियम दिया जिसे हुण्ड का बहुलकता का नियम कहते हैं।
इस नियम के अनुसार, “किसी उपकोश के विभिन्न कक्षकों में इलेक्ट्रॉन तब तक युग्मित नहीं होते हैं जब तक कि उस उपकोश के प्रत्येक कक्षक (orbital) में एक-एक इलेक्ट्रॉन नहीं हो जाता है। साथ ही साथ अर्धपूर्ण भरे कक्षकों के अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की स्पिन (parallel) होती है| क्योंकि इस स्थिति में उनका ऊर्जा स्तर कम होता है। जैसे- N=1s 25-2p. 22, 2p,
,N=15-262
2p
पूर्ण या आधे भरे हुये उपकोश, अपूर्ण उपकोश की अपेक्षा स्थायी होते हैं। स्थायी उपकोशों से इलेक्ट्रानों को पृथक करने के लिये अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। अतः ऐसे परमाणुओं के लिये आयनन ऊर्जा का मान भी अधिक होता है।
उदाहरण – नाइट्रोजन (N) की प्रथम आयनन ऊर्जा का मान,
ऑक्सीजन (0) की प्रथम आयनन ऊर्जा से अधिक होता है क्योंकि |N के बाहरी कोश का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास nsnp’ है। इनमें Pठपकोश आधे भरे हुये है जो कि एक अधिक स्थायी व्यवस्था है। इसलिए N की आयनन ऊर्जा 0 की आयनन ऊर्जा से अधिक होती है।
N=1s25 2p
2p