हरित क्रांति से अभिप्राय उच्च उत्पाद वैराइटी प्रोग्राम है।
हरित क्रांति प्रारम्भ करने का श्रेय नोबल पुरस्कार विजेता नारमन बोरलॉग को जाता है।
भारत में इसकी शुरूआत 1966-1967 में हुई तथा भारत में इसके जनक एम.एस. स्वामीनाथन को माना जाता है।
भारत में हरित क्रांति सत्तर के दशक में उच्च उत्पादक बीज प्रजातियों, उर्वरकों एवं सिंचाई की उपयुक्त व्यवस्था से कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई।
इससे सबसे ज्यादा लाभ मैक्सिन गेहूँ के प्रयोग से हुआ जिससे गेहूँ की उत्पादकता में काफी वृद्धि हई।
इसे मैक्सिको स्थित अन्तर्राष्ट्रीय मक्का एवं गेहूँ संवर्धन केन्द्र से मंगाया गया था।
सत्तर के दशक में प्रारम्भ हरित क्रांति का लाभ भारत के सभी क्षेत्रों को नहीं मिल पाया।
इसका लाभ कुछ ही क्षेत्रों तक सीमित रहा।
वंचित क्षेत्रों में कृषि एवं इससे सम्बंधित क्षेत्रों में कृषि एवं इससे सम्बंधित क्षेत्रों के विकास के लिए द्वितीय हरित क्रांति प्रारम्भ किया गया है।
इसका लक्ष्य हरित क्रांति से अब तक लाभान्वित न हो सकने वाले क्षेत्रों में बीज, पानी, उर्वरक, तकनीक का विस्तार करना तथा पशुपालन, सामाजिक वानिकी एवं मत्स्यपालन के साथ शस्योत्पादन का सामकलन करना है।