सूरदास के गुरु वल्लभाचार्य को माना जाता है |
सूरदास हिन्दी साहित्य में भक्ति काल के कृष्ण अष्टछाप कवियों में अग्रणी हैं।
महाकवि सूरदास वात्सल्य रस के सम्राट माने जाते हैं।
सूरदास ने भगवत के द्वादश स्कंधों पर सवा लाख पदों की रचना की जिनमें से अब 500 पद ही उपलब्ध हैं जो ‘सूर सागर’ में संकलित हैं।
ऐसा माना जाता है कि सूरदास जन्मांध थे लेकिन इस विषय में अभी भी मतभेद है।
आगरा के समीप गऊघाट पर इनकी मुलाकात वल्लभाचार्य जी से हुई और वे उनके शिष्य बन गए।
वल्लभाचार्य ने ही उनको पुष्टिमार्ग में दीक्षा देकर कृष्ण लीला के पद गाने का आदेश दिया था।