“सन्तुलन कीमत वह कीमत है जो माँग एवं पूर्ति की शक्तियों द्वारा उस बिन्दु पर निर्धारित होती हैं जहाँ वस्तु की माँग और वस्तु की पूर्ति आपस में बराबर होती हैं।”
सन्तुलन कीमत पर माँग और पूर्ति घटक आपस में बराबर होने का अभिप्राय है। कि सन्तुलन कीमत क्रेता एवं विक्रेता दोनों को स्वीकार्य होती है अर्थात् सन्तुलन कीमत पर विक्रेता वस्तु की जितनी मात्रा बेचना चाहता है क्रेता उसी सन्तुलन कीमत पर वस्तु की उतनी ही मात्रा खरीदना चाहता है।