श्रवण बेलगोला में गोमतेश्वर की विशाल प्रतिमा चामुण्डराय ने स्थापना करवायी थी।
गंग राजा राजमल्ल चतुर्थ के मंत्री चामुण्डराय ने मैसूर स्थित श्रवण बेलगोला में प्रथम तीर्थंकर के पुत्र गोमतेश्वर की विशाल प्रतिमा की स्थापना करवायी थी।
यह मूर्ति 17 मीटर ऊंची है। चामुण्ड राय ने गोमेतेश्वर की प्रतिमा की स्थापना छठीं सदी के विभव वर्ष में चैत्र शुक्ल पंचमी 13 मार्च , 981 ई. को आधी रात को करायी थी।
यह मूर्ति कायोत्सर्ग मुद्रा में खड़ी है, सिर से जाँघों तक चारों ओर से तराशी हुई है। इस मूर्ति को घुटनों से पैरों तक चट्टान काटकर उभारा गया है। बची चट्टान को बॉबी का रूप दिया गया है जिसमें साँप निकल रहे हैं।
हाथों पर माधवी की लता बनायी हुई है। दैनिक पूजा केवल पैरों की होती है। मस्तकाभिषेक निश्चित अवधि के बाद से होता है। यह दस से पन्द्रह वर्षों बाद निश्चित ग्रहयोग में होता है। अनेक मुनि, पुरोहित, तीर्थयात्री इसमें भाग लेते हैं।
यह पहों का महामेला भी होता है। यह चट्टान को काटकर विंध्यगिरि पर्वत पर बनायी गयी संसार की सबसे विशाल मूर्ति है।